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दिल्ली में अगस्त महीने में 14 साल में इस साल सबसे कम बारिश

नई दिल्ली : दक्षिण पश्चिम मानसून( Southwest monsoon) अपनी विदाई की ओर बढ़ रहा है। इस बीच कुछ राज्यों में भारी बारिश हुई, जबकि कई राज्यों में अपेक्षाकृत कम पानी गिरा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आजकल में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर भारी बारिश की संभावना जताई है। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, बिहार के कुछ हिस्सों, पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र, तटीय कर्नाटक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।

मौसम विभाग के अनुसार, शेष पूर्वोत्तर भारत, गंगीय पश्चिम बंगाल, बिहार के शेष हिस्सों, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, उत्तराखंड और कोंकण और गोवा के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, गुजरात के कुछ हिस्सों और पूर्वी राजस्थान में हल्की बारिश संभव है।

दिल्ली में अगस्त में सिर्फ 41.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो कम से कम 14 वर्षों में सबसे कम है। मौसम विशेषज्ञ इस महीने बारिश की कमी का जिम्मेदार पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर तीन कम दबाव वाले क्षेत्रों के विकास को देते हैं, जिसने मध्य भारत पर मानसून की ट्रफ खींची और इसे लंबे समय तक उत्तर की ओर नहीं बढ़ने दिया। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, सफदरजंग वेधशाला ने अगस्त में सामान्य से 247 मिमी के मुकाबले 41.6 मिमी बारिश दर्ज की, जो साल का सबसे गर्म महीना था।

भारत मौसम विज्ञान विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि राजधानी में पिछले साल अगस्त में 214.5 मिमी, 2020 में 237 मिमी और 2019 में 119.6 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। पूर्वानुमानकर्ताओं ने कहा कि अगले पांच से छह दिनों में दिल्ली में अच्छी बारिश की संभावना नहीं है, हालांकि बादल छाए रहेंगे। मौसम विभाग के अनुसार, “तीन कम दबाव वाले क्षेत्र (एलपीए) अगस्त में बंगाल की उत्तर-पश्चिमी खाड़ी के ऊपर विकसित हुए। ये ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दक्षिण पाकिस्तान से होकर गुजरे, जिससे वहां अच्छी बारिश हुई।

उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मणिपुर जैसे राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम अपने अंतिम फेज में प्रवेश कर रहा है। इसमें कम बारिश की संभावना है। इसका धान की फसल पर सीधा प्रभाव पड़ा है। मौसम विभाग के अनुसार, बुधवार तक उत्तर प्रदेश में औसत से 44 प्रतिशत कम वर्षा हुई। इसके बाद बिहार (38 प्रतिशत), झारखंड (27 प्रतिशत), मणिपुर (45 प्रतिशत) और त्रिपुरा (29 प्रतिशत) और दिल्ली (31 प्रतिशत) का स्थान है। दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम 1 जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक चलता है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, 26 अगस्त तक किसानों ने 367.55 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की बुवाई की थी, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 23.44 लाख हेक्टेयर कम है। मौसम कार्यालय ने कहा कि 1 जून से 31 अगस्त के बीच, भारत में सामान्य 700.7 मिमी के मुकाबले 743.8 मिमी बारिश हुई थी।

स्काईमेट वेदर(skymet weather) के अनुसार, बीते दिन असम, मेघालय, बिहार की तलहटी, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों और उत्तर प्रदेश के मध्य भागों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। हरियाणा के कुछ हिस्सों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार के शेष हिस्सों, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, कोंकण और गोवा, गुजरात, आंतरिक कर्नाटक, तेलंगाना और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की बारिश दर्ज की गई। राजस्थान, गंगीय पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और तटीय ओडिशा में एक या दो जगहों पर हल्की बारिश हुई। तमिलनाडु, केरल, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश होती रही। दक्षिण छत्तीसगढ़, विदर्भ और लक्षद्वीप में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर भारी बारिश हुई।

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