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आधुनिक भारत और प्राचीन लोकतंत्र का प्रतीक है नया संसद भवन: PM मोदी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नया संसद भवन आधुनिक भारत और प्राचीन लोकतंत्र का प्रतीक है (Is A Symbol) । उन्होंने नए संसद भवन के लोकसभा में कहा, “…मैं इस नए संसद भवन में आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं। यह अवसर कई मायनों में अभूतपूर्व है। यह आजादी के अमृत काल की सुबह है। मोदी ने कहा आज जब हम एक नई शुरुआत कर रहे हैं, तब हमें अतीत की हर कड़वाहट को भुलाकर आगे बढ़ना है । हम यहां से हमारे आचरण, वाणी और संकल्पों से जो भी करेंगे, वो देश के लिए, हर नागरिक के लिए प्रेरणा का कारण बनना चाहिए। हम सबको इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा चंद्रयान-3 की गगन चूंबी सफलता हर देशवासी को गर्व से भर देती है। भारत की अध्यक्षता में जी20 का असाधारण आयोजन विश्व में इच्छित प्रभाव प्राप्त करने जैसी अनूठी उपलब्धियां हासिल करने का अवसर बन गया। इसी आलोक में आधुनिक भारत और प्राचीन लोकतंत्र का प्रतीक नए संसद भवन का शुभारंभ हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, नितिन गडकरी और अन्य सांसद पुराने संसद भवन से निकलकर नए भवन में प्रवेश कर लिया है।

इससे पहले आपको बता दे की पुरानी संसद के विदाई भाषण में सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण देते हुए कहा यह भवन और उसमें भी यह सेंट्रल हॉल, एक प्रकार से हमारी भवानाओं से भरा हुआ है। हमें भावुक भी करता है और हमें कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। आजादी के पूर्व यह खंड एक तरह से लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल होता था। आजादी के बाद में संविधान सभा की बैठकें यहां हुईं और संविधान सभा की बैठकों के द्वारा गहन चर्चा के बाद हमारे संविधान ने यहां आकार लिया। यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतर किया।

संसद का विशेष सत्र में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा ”मेरा एक सुझाव है. अब जब हम नई संसद में जा रहे हैं तो इसकी (पुराने संसद भवन) गरिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ पुराना संसद भवन बनकर नहीं छोड़ देना चाहिए। इसलिए मेरा आग्रह है कि यदि आप सहमत हैं तो इसे ‘संविधान सदन’ के नाम से जाना जाना चाहिए । उन्होंने कहा उस प्रक्रिया का साक्षी यह सेंट्रल हॉल है। इसी सेंट्रल हॉल में हमारे तिरंगे, राष्ट्रगान को अपनाया गया। इस एतिहासिक अवसरों पर आजादी के बाद अनेक अवसर आए जब दोनों सदनों के मिलकर भारत के भाग्य को गणने के लिए सहमती बनाई। 1952 में करीब 42 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में संबोधित किया है। हमारे राष्ट्रपति महोदयों द्वारा 86 बार संबोधित किया गया… दोनों सदनों ने मिलकर करीब 4000 क़ानून पास किए हैं।

संसद के विशेष सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज भारत पांचवी अर्थव्यवस्था पर पहुंचा है, लेकिन पहले 3 के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं जिस स्थान पर हूं उस जानकारी के आधार और विश्व के गणमान्य लोगों से बातचीत करता हूं उस आधार पर कह रहा हूं कि दुनिया आश्वस्त है कि भारत टॉप 3 में पहुंचकर रहेगा संसद के विशेष सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सबसे पहले परीपूर्ण करना चाहिए और यह हम से, हर नगारिक से शुरूआत होती है। एक समय ऐसा था कि लोग लिखते थे कि ‘मोदी आत्मनिर्भर की बात करता है, कहीं बहुपक्षीय के सामने चुनौती नहीं बन जाएगा।’ हमने पांच साल में देखा कि दुनिया भारत के आत्मनिर्भर मॉडल की चर्चा करने लगी है।”

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