नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 10 मार्च को पता चल जाएगा कि 2024 से पहले सत्ता के सेमिफाइनल के बाद देश की सियासत किस दिशा में मुड़ती दिख रही है। इतना तय है कि इन पांच राज्यों के चुनाव के असर तात्कालिक से लेकर दूरगामी तक होंगे। देश की सियासत पर भी असर देखने को मिलेगा। इस चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष की साख दांव पर रहेगी। जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उनमें चार में बीजेपी सत्ता में है जबकि पंजाब में कांग्रेस सरकार में है। देश की राजनीति को चुनाव नतीजे इन पांच मोर्चों पर तुरंत प्रभावित कर सकते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव पर सीधा असर
चुनाव नतीजों का सबसे पहला असर इस साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा। 5 राज्यों में कुल 690 विधायक चुने जाने हैं। साथ ही इन चुनावों से 19 राज्यसभा सीटों का गणित भी साफ होगा। पांच में से तीन राज्यों की 19 सीटें खाली होने वाली हैं। चूंकि विधायक और सांसद मिलकर इलेक्टोरल कॉलेज बनाते हैं जो राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेते हैं।
अगर पांच राज्यों के परिणाम पिछली बार की तरह आए तब तो सत्तारूढ़ बीजेपी अपनी पसंद का राष्ट्रपति आसानी से चुन लेगी, लेकिन अगर उलटफेर हुए या नजदीकी मामले भी रहे तो बीजेपी को इस बार दिक्कत हो सकती है। क्योंकि पिछले कुछ सालों से बीजेपी का तमाम विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। कई बड़े राज्यों में बीजेपी के पास विधायकों के नंबर नहीं है।
इसी साल राज्यसभा की सूरत भी बदलेगी। इस जुलाई तक राज्यसभा की 73 सीटों पर चुनाव होंगे। यानी कि एक तिहाई सीटों पर चुनाव होंगे। जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उस हिसाब से कांग्रेस और विपक्षी दलों को इस बार बीजेपी के सामने हल्की बढ़त मिल सकती है। ऐसें में इन पांच राज्यों के परिणाम संसद के ऊपरी सदन की तस्वीर तय करेगी। बीजेपी के लिए राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार चुनने के अलावा राज्यसभा में भी दबदबा बनाए रखने के लिए इन पांच राज्यों में पुराना प्रदर्शन दोहराने का दबाव होगा। वहीं विपक्ष यहीं से बीजेपी को कमजोर करना चाहेगा।