उत्तराखंड में गरुड़ भगवान का इकलौता मंदिर, यहां मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति!
ऋषिकेश से करीब 10 किलोमीटर आगे और नीलकंठ महादेव मंदिर से लगभग 18 किलोमीटर पहले पौड़ी जिले में प्राचीन गरुड़ मंदिर मौजूद है. इस स्थान को गरुड़ चट्टी भी कहा जाता है. बताते हैं कि ऋषि के श्राप से मुक्त होने के लिए गरुड़ भगवान ने इस जगह पर कठोर तपस्या की थी. इसके साथ ही अतीत में चार धाम जाने वाले पैदल यात्रियों के लिए यह स्थान विश्राम की जगह भी होती थी. मणिकूट पर्वत पर बसा यह मंदिर कालसर्प दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है.
मान्यता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसे यहां पर गरुड़ भगवान की पूजा करने से दोष के प्रभाव से मुक्ति मिलती है. इस मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक स्रोत का कुंड है, जहां पर रंग-बिरंगी मछलियां मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं.
उत्तराखंड में गरुड़ भगवान का इकलौता मंदिर होने के बावजूद अभी तक इसके सौंदर्यकरण की ओर किसी का ध्यान नहीं गया है. अगर इस गरुड़ मंदिर की देखरेख पर शासन और प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जाए तो यह मंदिर धार्मिक आस्था और पर्यटन दृष्टि से लोगों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है.