आतंकी मुर्तजा के पकड़े जाने पर ‘दंगेश’ की पीड़ा!
गोरखपुर मंदिर पर हमले के आरोपी मुर्तुजा की गिरफ्तारी के बाद ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ की शुरुआत यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कर दी है। वह भी तब जब कबूलनामा में मुर्तजा ऑन कैमरा कह रहा है कि सीएए-एनआरसी में मुसलमानों के साथ हो रहे गलत के विरोध में उसने गोरखनाथ मंदिर पर हमला कर दिया। वीडियो को देखकर साफ लग रहा है कि मुर्तजा को इस कदर रेडिक्लाइज किया कि वह हत्य़ा करने पर उतारू हो गया। बावजूद इसके ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ की हद पार करते हुए अखिलेश यादव ने उसकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मुर्तजा को जबरन यूपी पुलिस बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही है। उसके पिता के बयानों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कि क्या आतंकी मुर्तजा को बचाने के लिए अखिलेश का आतंकी प्रेम जाग गया है?
-सुरेश गांधी
फिलहाल, सच तो यही है गोरखनाथ मंदिर के बाहर मुर्तज़ा ने धार्मिक नारे लगाते हुए मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी। सुरक्षा में तैनात पीएसी के दो जवानों को धारदार हथियार से हमला किया था। अब तक की जांच में पुलिस ने मुर्तजा के आतंकी कनेक्शन का दावा किया है। आरोपी मुर्तजा अहमद अब्बासी के पिता को भी यूपी एटीएस ने तलब किया है। उसके पिता मुनीर अहमद अब्बासी को नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया है। अहमद मुर्तजा की बीमारी में पुराने इलाज और लम्बे समय से हो रही संदिग्ध गतिविधियों को लेकर एटीएस ने पिता को अपनी जांच के दायरे में शामिल है। एटीएस को अब तक की जांच में हमलावर अहमद मुर्तजा अब्बासी से पूछताछ और उसके लैपटॉप से जो सुराग हाथ लगे हैं, उनसे साफ है कि हमलावर बेहद खतरनाक मंसूबों के साथ आतंक की राह पर चल पड़ा था। इसके साथ ही इस्लाम के कट्टरपंथ की सीख देने वाले जाकिर नाइक जैसे मौलानाओं के वीडियो भी यूट्यूब से डाउनलोड कर देखता था।
अहमद अब्बासी ने जो विदेशी सिम खरीदी थी कि वह उसी नंबर और वाट्स्प के जरिए आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के संपर्क में था। एटीएस के अफसरों के मुताबिक, अब्बासी शॉर्प माइंडेड है और केमिकल इंजीनियर होने की वजह से इस्लाम को लेकर उसका पूरी तरह से ब्रेनवॉश हो चुका है। हमलावर अहमद मुर्तजा अब्बासी ने पूछताछ में जाकिर नाइक का जिक्र करते हुए कहा, मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था, कोई काम करने के पहले आदमी उसके बारे में सोचता है, मुसलमानों के साथ गलत हो रहा है तो हमने सोचा अब कर ही दो भाई, नेपाल में भी नहीं सो पाए थे। कर्नाटक में भी मुसलमानों के साथ सही नहीं हो रहा है। इन्हीं सब बातों से गुस्से में था, इसलिए हमला कर दिया। लेकिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को यह सब नहीं दिखता और मुर्तजा अब्बासी का बचाव करने में जुट गए है। अखिलेश ने भाजपा पर मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि युवक दिमागी समस्या से ग्रसित है।
हालांकि मुर्तजा अब्बासी का केस एटीएस को ट्रांसफर कर दिया गया है। केस ट्रांसफर होने के बाद अहमद मुर्तजा को भी एटीएस के हवाले कर दिया गया। एटीएस उससे पूछताछ कर रही है। एसटीएफ और दूसरी एजेंसियों ने भी मुर्तजा से घटना और आतंकी साजिश से जुड़े सवाल-जवाब किए। एटीएस सूत्रों की मानें तो मुर्तजा के लैपटॉप और फोन में कई विडियो मिले हैं। इनमें कुछ विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के हैं, तो कुछ आईएसआई से जुड़े हैं। मुर्तजा का कबूलनामा सामने आया है, जिसमें उसने बताया कि वह टैंपो से गोरखपुर पहुंचा था। वह खुरपी और अन्य सामान के साथ गोरखपुर में दाखिल हुआ था। बता दें कि मुर्तजा अब्बासी को लेकर लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। यूपी एटीएस ने मुर्तजा का पासपोर्ट बरामद कर लिया है। पासपोर्ट से यह पता चला है कि मुर्तजा करीब 6 महीने पहले दुबई गया था। इतना ही नहीं, मुर्तजा का यह पासपोर्ट मुंबई के पते पर बना हुआ है, यानी पासपोर्ट पर मुंबई के एक प्लैट का पता लिखा हुआ है।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुर्तजा एक व्हाट्सएप ग्रुप भी चलाता था। इस ग्रुप में यूपी के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से लेकर नेपाल तक लोग जुड़े हुए थे। एटीएस की टीम ने ग्रुप के सदस्यों की पड़ताल कर उनकी धरपकड़ की शुरुआत कर दी है। मुर्तजा अब्बासी 21 महीनों से एटीएस के रडार पर था। दरअसल, मुर्तजा ने खाड़ी देशों में कुछ रकम ट्रांसफर की थी, तभी से वह इंटेलिजेंस के निशाने पर आ गया था। सूत्रों के मुताबिक, 2020 में पाकिस्तान को सूचनाएं भेजने पर एक जासूस पकड़ा गया था, उसने भी मुर्तजा का नाम लिया था। मुर्तजा के लैपटॉप और बैग से मिले दस्तावेज के आधार पर एटीएस और एसटीएफ गोरखपुर के आसपास के जिलों महराजगंज, कुशीनगर और सिद्धार्थनगर में भी उसका नेटवर्क तलाश रही है। यूपी एटीएस की टीमों ने मंगलवार को दो बार मुर्तजा के गोरखपुर स्थित घर की तलाशी ली।
आरोपी अहमद मुर्तजा 5, जनवरी 1992 को गोरखपुर के अब्बासी अस्पताल में पैदा हुआ था। सेकंड क्लास तक लखनऊ के सेंट जॉन वास्को स्कूल और बाकी स्कूली पढ़ाई मुम्बई में सेन्ट्र और डीएवी कालेज में की थी। इसके बाद 2010 में मुम्बई में एडमिशन लिया था और 2015 में वहां से पास हुआ था। 2011-12 में अहमद मुर्तजा को पोर्न देखने की लत लगी। पता चला है कि मुर्तजा अब्बासी पढ़ाई के टाइम ही सीरिया के प्रति झुकाव रखने लगा था। दरअसल मुर्तजा यमन अमेरिकी इमाम अनवर अल अलाकी से प्रेरित था। इस दौरान ही वह इस्लामिक अवेकिंग फोरम पर मुर्तजा कट्टर इस्लाम की बातें सुनता था। उसने इंटरनेशनल सिम के जरिए और टेलीग्राम पर साइट बनाकर ये कट्टर इस्लामियों के संपर्क में रहा। मुर्तजा इस दौरान लगातार आईएसआईएस लड़ाकों और उनके आकाओं के वीडियो देखता रहा। मुर्तजा पढ़ाई के दौरान ही सीरिया पैसा भेजता था। इसके अलावा बीते साल यानी 20-21 में भी नेपाली खातों के जरिए 6 से 8 लाख रुपये सीरिया भेज चुका था। 2013 में मुर्तुजा का पासपोर्ट बना था और 2015 में अपने पिता के साथ सऊदी उमरा करने गया। पढ़ाई के दौरान ही उसे आतंकियों के खिलाफ बातें सुनना रास नहीं आता था। मुम्बई के नवी मुम्बई के ताज हाइट्स में इसका फ्लैट था।
मुर्तजा शातिर दिमागी है
इस बीच मुर्तजा को विचार आने लगे कि वह जन्नत में है और खुदा उससे नाराज है। 2019 के जून माह में उसकी शादी यूपी में जौनपुर से हुई और 2020 में फोन के जरिए इसने बीवी को तलाक दे दिया। 2020 के शुरुआती महीने में ही वह हाईटेक कंप्यूटर कोडिंग सीख रहा था, तभी फिर ये सीरिया के कुछ कट्टरपंथियों के संपर्क में आया कई लाख रुपए फिर दे दिए। इनके संपर्क में आने के बाद से उसे लगने लगा था की उसके कौम के लोगों पर जुल्म हो रहा है। बीते कई दिनों से अत्यधिक समय वह लैपटॉप और मोबाइल पर बिताता था। उसके पास से नेपाल की कुछ रुपए या नोट भी मिले हैं। मुर्तजा पूछताछ में समय लगा रहा है। अहमद मुर्तजा शातिर दिमागी है और इसीलिए उससे पूछताछ में अधिकारियों के भी पसीने छूट रहे हैं। मुर्तजा ने बताया कि 2 अप्रैल को जब दो लोग उसके बारे में जानकारी लेने के लिए चाचा अहमद अब्बासी के नर्सिंग होम पहुंचे थे, तब वह घर पर ही था लेकिन जैसे ही उसे जानकारी मिली कि 2 लोग उसके बारे में जानकारी ले रहे हैं, 36 लाख के लोन की बात कर रहे हैं तो उसे समझ नहीं आ रहा था यह कौन लोग हैं और कौन से लोन पर कोर्ट का समन लेकर आए हैं? मुर्तजा ने पूछताछ के दौरान बताया था, उन दो लोगों के वापस चले जाने के बाद अब्बासी नर्सिंग होम के सीसीटीवी में उनकी तस्वीरें देखी। गई कद काठी देखी, आशंका जताई जाने लगी कि वो लोग देसी पुलिस बैंक के लोग हो सकते हैं।
यह आशंका होते ही अब्बासी घबरा गया। आनन-फानन में उसने अपने अब्बू का बैग उठाया उसमें अपना लैपटॉप रखा और मां को बोला कि पता नहीं क्यों पुलिस मुझे तलाश रही है। मैं जा रहा हूं। मां ने भी बेटे की घबराहट को देखकर यह नहीं पूछा कि आखिर वह पुलिस से इतना डर क्यों रहा है और उसने कुछ रुपए भी अब्बासी को दिए थे। अहमद मुर्तजा अब्बासी देर रात सिद्धार्थनगर के नौगढ़ पहुंचा। रात उसने नौगढ़ रेलवे स्टेशन के पास एक मस्जिद में गुजारी। सुबह उसी मस्जिद में नमाज पढ़ी और फिर वहां से नेपाल चला गया। इंडो नेपाल बॉर्डर पर ही उसमें स्थानीय दुकान से 2 बांके और चाकू खरीदे थे। रविवार का पूरा दिन सिद्धार्थनगर में गुजारने के बाद दोपहर बाद वह वापस गोरखपुर बस से पहुंचा। यहां से वह सीधे गोरखनाथ मंदिर पहुंचा और मंदिर के गेट पर ही पीएसी के जवान अनिल पासवान और गोविंद गौड़ पर हमला बोल दिया।
कोरियर से मंगाया था लैपटॉप
मुर्तजा ने हाल में एक नया और महंगा लैपटॉप खरीदा था। जांच में खुलासा हुआ है कि 10 मार्च को कोरियर से उसके घर एक लैपटॉप पहुंचा था। उस लैपटॉप की कीमत तकरीबन एक लाख रुपये है। हालांकि, उसके पिता मुनीर अहमद अब्बासी ने बताया कि उसका पुराना लैपटॉप खराब होने पर उन्होंने ही नया खरीदने के लिए पैसे दिए थे। मुनीर अब्बासी ने दावा किया कि उनका बेटा 2017 से मानसिक रूप से बीमार रहा है। हमलावर असल में बीमार है, या फिर वो किसी आतंकी संगठन से जुड़ा है, इसकी अलग-अलग टीमें जांच कर रही हैं। सूत्रों का दावा है कि गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात जवानों पर हमला करने वाले आरोपी के बैग से मिली अरबी भाषा की मजहबी किताब में गोरखनाथ मंदिर का नक्शा था। मुर्तजा मुंबई और नेपाल के कई संदिग्ध लोगों से ऑनलाइन चैटिंग करता था। उसके नेपाल-मुंबई कनेक्शन को खंगालने के लिए के लिए एटीएस की एक टीम मुंबई पहुंच गई है।