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40 साल बाद भोपाल गैस त्रासदी का जहर जलाया जाएगा, केंद्र सरकार ने पीथमपुर की एक कंपनी को टेंडर दिया

भोपाल : 40 साल बाद भोपाल में पड़े जहर को जलाया जाएगा। इसके साथ ही भोपाल गैस त्रासदी की यादें ताजा हो गईं, जिसमें 5000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। यह जहरीला अवशेष उसी हादसे का है, जो भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में है। भोपाल गैस त्रासदी के बाद फैक्ट्री में 337 टन जहरीला कचरा है। इसे 40 साल बाद जलाया जाएगा। इसके लिए 126 करोड़ रुपए की राशि टेंडर लेने वाली कंपनी को दे दी गई है। हालांकि यह काम कब से शुरू होगा, इसकी तारीख तय नहीं हुई है। अब डर है कि जब इस जहर को नष्ट किया जाएगा, तब क्या इंदौर भी इसकी जद में आएगा।

इसे इंदौर के पास पीथमपुर की रामकी कंपनी में जलाया जाएगा। इस काम के लिए 126 करोड़ रुपये खर्च होंगे और यह काम गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग की देखरेख में होगा। इस जहरीले कचरे को नष्ट करने का काम आसान नहीं है। सबसे पहले इसे भोपाल से 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर तक ले जाना होगा। यह काम बेहद सावधानी से करना होगा ताकि रास्ते में कोई हादसा न हो। फिलहाल, विभाग और रामकी कंपनी के अधिकारी इस काम को कैसे अंजाम देना है, इस पर चर्चा कर रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है, जब इस कचरे को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस कचरे के कुछ हिस्से को रामकी कंपनी में ही जलाकर देखा गया था। यह प्रयोग सफल रहा था और उसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई थी। उसके बाद तय हुआ कि बाकी कचरे को भी यहीं नष्ट किया जाएगा, लेकिन राशि केंद्र सरकार देगी। अब केंद्र सरकार ने पैसे दे दिए हैं और जल्द ही इस काम को शुरू किया जाएगा।

हालांकि, कुछ पर्यावरण कार्यकर्ताओं को इस प्रक्रिया पर आपत्ति है। उनका कहना है कि रामकी कंपनी के पास इतनी बड़ी मात्रा में जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। मीडिया से बात करते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता ने कहा कि कार्बाइड के कचरे को जलाने के लिए रामकी कंपनी में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है। इसे लेकर हम लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं।

वहीं, भोपाल के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने की खबर से स्थानीय लोग चिंतित हैं। उन्हें डर है कि इतनी बड़ी संख्या में जब कचरा जलाया जाएगा, हवा के जरिए प्रदूषण फैलेगा। कंपनी के खिलाफ भी पहले भी स्थानीय लोग प्रदूषण को लेकर शिकायत की है। साथ ही कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुआ है।

गौरतलब है कि भोपाल गैस त्रासदी की जख्म अभी भी लोगों में हरा है। कचरा जलाने की खबर के बाद एक बार फिर से लोगों की यादें ताजा हो गई हैं, जब उस इलाके की गलियां लाशों से पट गई थीं। आज भी गैस त्रासदी के कई लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

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