अन्तर्राष्ट्रीय

परिक्षा में सफल होने की गारंटी देना निजी संस्थान को पड़ा भारी, झटके में अरबपति से बन गए कंगाल

हांगकांग : सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा में सफल होने की गारंटी देना एक निजी शिक्षण संस्थान को महंगा पड़ गया। संस्थान ने परीक्षा में पास नहीं होने पर विद्यार्थियों को 100 फीसद फीस वापसी का वादा किया था। इस बीच यहां से परीक्षा की तैयारी करने वाले अधिकतर विद्यार्थी फेल हो गए। संस्थान के अरबपति मालिक अब कंगाल हो चुके हैं।

चीन के शिक्षण तकनीकी फर्म ‘ऑफसीएन एज्युकेशन टेक्नोलॉजी’ के संस्थापक मां-बेटे लू झोंगफांग और ली जोंगजिन 21 अरब डॉलर के मालिक थे। अपने बिजनेस मॉडल की खामी के कारण वे 20 अरब डॉलर गंवा चुके हैं।

चीन में नवंबर 2019 में 10 लाख उम्मीदवारों ने 24 हजार पदों के लिए परीक्षा दी। तीन साल बाद 37 हजार पदों के लिए परीक्षा देने वालों की संख्या 26 लाख हो गई। कंपनी ने बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी करवाई लेकिन कोरोना ने खेल बिगाड़ दिया।

परीक्षा में पास होने वाले बच्चों की संख्या में बड़ी गिरावट आ गई। फीस वापसी पॉलिसी ने कंपनी के पतन की शुरुआत की। 2019 में औसत शुल्क वापसी दर 44 फीसद थी, जो 2022 तक बढ़कर 70 फीसद हो गई। इस बीच कंपनी के शेयर 87 फीसद तक गिर गए।

चीन (China) में पुलिस अधिकारी, आयकर अधिकारी या सीमा शुल्क एजेंट बनना काफी कठिन है। इसके लिए डिग्री होने के साथ राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसकी सफलता दर 1.5 फीसद से भी कम है।

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