देहरादून: हालिया सपन्न हुए विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त झेलने के बाद कांग्रेस में शीर्ष नेताओं में चल रहे शीतयुद्ध के बीच पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि यह समय चीजों को गहराई से विश्लेषण का है, यदि चूक इंचार्ज के लेवल पर हुई तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए। जिस लेवल पर हुई उनको सजा मिले। लेकिन हम सीधे कह दें कि सबको इस्तीफा देना चाहिए, तो वह ठीक नहीं रहेगा। रावत ने कहा कि अब प्रियंका गांधी जी ने अभूतपूर्व मेहनत की है, पूरी दुनिया साक्षी है। इससे बेहतर तरीके से कोई चुनाव नहीं लड़ा जा सकता है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में कांग्रेस की करारी हार के बाद सवाल उठने लगे। कांग्रेस के भीतर रावत की राजनीतिक हैसियत पर भी बात होने लगी। रावत की करारी हार से कांग्रेस गहरे सदमे में है। जिस रावत को कांग्रेस अपना मुख्य चेहरा मानते हुए चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया था। भाजपा की आंधी में वो इस तरह धराशायी होंगे, किसी ने सोचा भी नहीं था।
हरीश रावत को राज्य की सियासत का सबसे सयाना नेता माना जाता है। लेकिन उनकी हार की वजह उनके फैसले को भी माना जाता है। वर्ष 2014 में धारचूला सीट पर उपचुनाव जीते रावत वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मैदानी सीटों पर शिफ्ट हो गए। हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला राजनीतिक रूप से बड़ी भूल साबित हुआ। इस बार भी रावत सीट के चयन पर अंतिम क्षणों तक उलझे ही रहे। हाईकमान के दबाव के बाद उन्होंने पहले रामनगर सीट को चुनाव और टिकट हासिल भी कर लिया था। लेकिन पार्टी में उपजे विवाद के बाद रावत लालकुआं सीट पर शिफ्ट होने को भी आसानी से राजी हो गए।