चंडीगढ़ : पंजाब सरकार पर पहले ही 3.12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। राज्य की 13 महीने पुरानी आप सरकार चुनाव के दौरान किए गए वादों के तहत एक सीमा तक मुफ्त पानी और बिजली देकर राज्य को कर्ज के दलदल में और गहरे धकेल रही है।
शराब नीति को लेकर सरकार की पहले ही आलोचना हो रही है। शराब कारोबारियों ने उस पर ‘मुट्ठी भर कंपनियों’ को एकाधिकार देने का आरोप लगाया है। अब 2004 के बाद सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने का चुनावी वादा न निभाने के लिए उसकी आलोचना हो रही है। पुरानी पेंशन योजना लागू करने की तारीख की घोषणा में हो रही देरी को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने कई बार सड़कों पर प्रदर्शन किया है।
गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने पिछले साल नवंबर में पंजाब में ओपीएस के कार्यान्वयन की अधिसूचना जारी कर दी। इससे 1.75 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलना है जो वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत हैं।
इसके अलावा, मौजूदा ओपीएस के तहत 1.26 लाख कर्मचारी पहले से ही शामिल हैं। सरकार का कहना है कि ओपीएस योजना से अगले पांच साल में ही 4,100 से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि शुरू की जा रही योजना टिकाऊ हो सरकार पेंशन कोष में सक्रिय रूप से योगदान देगी।
कोष में योगदान शुरू में प्रति वर्ष 1,000 करोड़ रुपये होगा और धीरे-धीरे बढ़ेगा। इसके अलावा, एनपीएस के साथ मौजूदा संचित कोष 16,746 करोड़ रुपये है, जिसे सरकार ने पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से वापस करने का अनुरोध किया है लेकिन केंद्र ने इसके लिए मना कर दिया।
कठिन वित्तीय स्थिति और अनुमान से भी बदतर मंदी के बीच राज्य के वित्त विभाग के अधिकारी ओपीएस के कार्यान्वयन पर संदेह जताते हुए कह रहे हैं कि इससे वित्त पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा क्योंकि राज्य का कर्ज उसके वार्षिक बजट के 180 प्रतिशत के करीब है।
उनका कहना है कि राज्य सरकार के सामने कमाई के एक प्रमुख घटक के रूप में बेहद जरूरी आर्थिक सुधार शुरू करने का चुनौतीपूर्ण कार्य है। सरकार पूंजीगत व्यय की बजाय ऋण और ब्याज चुकाने के लिए उधारी ले रही है। राज्य के बजट के अनुसार, प्रभावी बकाया ऋण 2023-24 में जीएसडीपी का 46.81 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है।
इन वित्तीय परिस्थितियों के बावजूद राज्य घरेलू उपभोक्ताओं को सालाना 7,780 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी और किसानों को 9,064 करोड़ रुपये की मुफ्त बिजली मुहैया करा रहा है। राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटों पर भारी जीत के साथ सत्ता में आई आप सरकार चुनाव पूर्व के वादे के मुताबिक घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली मुहैया करा रही है। राज्य के लगभग 90 प्रतिशत घरों में अब शून्य बिजली बिल आ रहे हैं।
हालांकि, पार्टी की बहुचर्चित चुनाव पूर्व गारंटी ‘हर वयस्क महिला के लिए 1,000 रुपये और सरकारी खजाने पर एक नाली अभी लागू नहीं हो पाई है। ओपीएस को लागू करने पर राज्यों को आगाह करते हुए, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने फरवरी में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में स्पष्ट किया कि पीएफआरडीए अधिनियम के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत अभिदाताओं, अर्थात राज्य सरकारों की जमा राशि और एनपीएस के लिए कर्मचारियों के योगदान के साथ-साथ उपार्जन को वापस किया जा सकता है और राज्य सरकार को वापस जमा किया जा सकता है।
यहां तक कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भी यह कहते हुए कि यह आने वाले वर्षों में राज्यों के वित्तीय बोझ को बढ़ाएगा, राज्यों को महंगाई भत्ते से जुड़े ओपीएस की ओर लौटने के प्रति आगाह किया है।
पंजाब के मामले में, सरकार ने ओपीएस को लागू करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति और अधिकारियों की एक उप-समिति का गठन किया है। पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारी संघों का एक धड़ा पंजाब में ओपीएस को समय पर लागू करने की मांग कर रहा है।
उन्होंने तर्क दिया कि ओपीएस के कार्यान्वयन के संबंध में सरकार की अधिसूचना सिर्फ एक राजनीतिक घोषणा है क्योंकि इसमें यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि यह ऐसा कैसे करेगी और किस तारीख से पुरानी पेंशन लागू होगी। कर्मचारियों ने पहले ही सरकार को मानक संचालन प्रक्रिया जारी करने का अल्टीमेटम जारी कर दिया है, जिसके विफल होने पर वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।
हाल ही में यहां पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के साथ बैठक में वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कैबिनेट सब-कमेटी और मुख्य सचिव के नेतृत्व वाली सब-कमेटी बैठकें कर रही हैं ताकि ऐसा पेंशन मॉडल तैयार किया जा सके जो सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों का सुरक्षित तथा समृद्ध जीवन सुनिश्चित करे और देश में सबसे बढ़िया हो।
चीमा के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, हम सरकारी कर्मचारियों के लिए एक ऐसा उत्कृष्ट पेंशन मॉडल पेश करेंगे, जिसका पालन अन्य राज्यों की सरकारें भी करेंगी।
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि राजनीतिक मजबूरी सरकार की लोक लुभावन घोषणाओं से राज्य की वित्तीय स्थिति पर भारी असर पड़ रहा है और इससे अनुमानित कर्ज 2.52 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।
पंजाब की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए पिछले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा स्थापित प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों के समूह की एक रिपोर्ट ने सरकारी ऋण की औसत लागत को कम करने, पुलिस में भर्ती पर प्रतिबंध लगाने और सरकारी कर्मचारियों का वेतनमान दूसरों के बराबर करने जैसे उपायों की सिफारिश की थी।