महाशिवरात्रि : स्वर्ण मंडित हुआ काशी विश्वनाथ धाम का गर्भगृह
भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी महाशिवरात्रि के लिए पूरी तरह से सज-धज कर तैयार है। काशी के लोगों और बाबा के भक्तों के सहयोग से मंदिर प्रशासन गर्भगृह को स्वर्णमंडित कर दिया है। गर्भगृह स्वर्ण मंडित होने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूजा-अर्चना की। 12 दिसम्बर, 2021 को नए कलेवर में सज-धज कर तैयार काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण भी पीएम मोदी ने ही की थी।
-सुरेश गांधी
द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक काशी विश्वनाथ का मंदिर अब नीचे से ऊपर तक सोने से चमक उठा है। धर्म की नगरी वाराणसी में महाशिवरात्रि के मौके पर काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारें स्वर्ण से जगमगा रही हैं। बता दें कि काशी के लोगों और बाबा के भक्तों के सहयोग से मंदिर प्रशासन गर्भगृह को स्वर्णमंडित कराया गया है। इस काम के लिए विशेष विशेषज्ञों की पूरी टीम गुजरात से गर्भगृह को स्वर्ण से सजाने के लिए बुलाई गई थी। उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में रविवार को एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। 187 वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद मंदिर में सोना मढ़ा गया। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की दीवारों पर 30 घंटे के अंदर सोने की परत लगाई गई। सोना लगने के बाद गर्भगृह के अंदर की पीली रोशनी हर किसी को सम्मोहित कर रही है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक 37 किलो सोना लगाया गया है। बचे अन्य कार्यों में 23 किलो और सोना लगाया जाएगा।
मंदिर को सोने से सजाने वाली संस्था के मुकुंद लाल के अनुसार पहले चरण में प्लास्टिक के सांचे का काम पूरा किया गया था। दूसरे फेज में तांबे के सांचे का कार्य हुआ। इसके बाद तीसरे चरण में सोना लगने का कार्य पूरा किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह को 6 साल पहले ही स्वर्णमंडित कराने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए लगभग 42 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। इसके लिए मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन जब शासन ने स्वर्ण शिखर और दीवारों पर अधिक भार सहने की रिपोर्ट मांगी, तो बीएचयू आईआईटी ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर को भार सहने योग्य से मना कर दिया था। मंदिर के गर्भ गृह में चल रहे स्वर्ण मंडन के कार्य के पूर्ण होने के बाद पहली बार पूजा करने पहुंचे प्रधानमंत्री ने इस कार्य को देखते हुए कहा कि अद्भुत और अकल्पनीय कार्य हुआ है। स्वर्ण मंडन से विश्व के नाथ का दरबार एक अलग ही छवि प्रदर्शित कर रहा है। दीवारों पर उकेरी गई विभिन्न देवताओं की आकृतियां स्वर्णमंडन के बाद और निखर गयी हैं। स्वर्ण मंडन के बाद गर्भ गृह की आभा कई गुना बढ़ गई है।
1835 में कराया गया था मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित
वर्ष 1835 में पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था। बताया गया कि साढ़े 22 मन सोना लगा था। उसके बाद कई बार सोना लगाने व उसकी सफाई का कार्य प्रस्तावित हुआ, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंचा। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही मंदिर के शेष हिस्से व गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की कार्ययोजना तैयार होने लगी थी। इसी दौरान करीब डेढ़ माह पूर्व बाबा के एक भक्त ने मंदिर के अंदर सोने लगवाने की इच्छा जतायी। मंदिर प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद सोना लगाने के लिए माप और सांचा की तैयारी चल रही थी। करीब माहभर तैयारी के बाद शुक्रवार को सोना लगाने का काम शुरू हुआ।
मंदिर की चारों चौखटें भी सोने की होंगी
मंदिर प्रशासन की मानें गर्भगृह के अंदर सोना लगाने का काम पूरा होने के बाद अब चारों चौखट से चांदी हटाकर उसपर भी सोने की परत लगायी जाएगी। इसके बाद मंदिर के शिखर के नीचे के बचे हिस्से में भी सोने की प्लेटें लगाई जानी है। सोना लगने के बाद गर्भगृह के अंदर की पीली रोशनी हर किसी को सम्मोहित भी कर चुकी है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक 37 किलो सोना लगा चुके है। बचे अन्य कार्यों में 23 किलो और सोना लगाया जाने वाला है। स्वर्णिम शिखर वाले काशीपुराधिपति के मंदिर का गर्भगृह भी अब स्वर्ण्म आभा से दमकने लगा है। मंदिर के अंदर की पूरी दीवारों पर सोने के पत्तर चढ़ा दिए गए हैं। अब शिवभक्त बाबा के गर्भगृह की स्वर्णिम आभा में शिव और शक्ति के एक साथ दर्शन कर सकेंगे।
22 मन सोने से स्वर्णमंडित है शिखर, 50 करोड़ का इस्टीमेट
इतिहास की बात करें तो महाराज रणजीत सिंह ने दिया था साढ़े 22 मन सोना जिससे शिखर स्वर्णमंडित हुआ था। इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1777 में वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया, जिसके दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराने के लिए पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 1835 में साढ़े 22 मन सोना दान में दिया था। कई दशक पूर्व लगे स्वर्ण पत्र धूमिल हो गए थे। जिसे विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पहले विशेषज्ञ कारीगरों की मदद से सोने की सफाई करायी गयी थी। अब स्वर्ण शिखर की चमक बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को मोहित कर रहे है। अधिकारियों के मुताबिक कई वर्ष पूर्व गर्भगृह के अंदर स्वर्ण पत्र लगाने का 50 करोड़ का इस्टीमेट बना था। तब बीएचयू आईआईटी के विशेषज्ञों ने दीवारों को अतिरिक्त भार सहने योग्य नहीं माना था। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि स्वर्ण मंडित कराने का का कार्य तेज गति से कराया जा रहा है।
भव्यता से हर कोई निहाल
आधुनिकता और प्राचीनता का संगम है श्री काशी विश्वनाथ धाम। नए कलेवर में इसकी भव्यता देख हर कोई निहाल है। जो भी भक्त मंदिर पहुंच रहा, वो पलक झपाएं बगैर निहारता ही जा रहा है, उसके मुख से सिर्फ यही निकलता है वाह मोदी- वाह मोदी। मंदिर की अद्भुत छटा, रंग-बिरंगी लेजर रोशनी में डूबा बाबा धाम, गंगा घाट पर दमकती लाइटे, दुल्हन की तरह सजी नावों में नौका विहार, रेत पर पिकनिक स्पॉट, बृज रमा पैलेस, क्रूज, स्वच्छता सब श्रद्धालुओं को मोहित कर रही है। लोगों को आभास हो रहा है पांच सौ बरस पहले ऐसा ही रहा होगा बाबा विश्वनाथ का दरबार। महादेव के इस नवनिर्मित धाम की भव्यता उनके भक्तों को खूब भा रही है, अभिभूत कर रही है। भक्त काशी विश्वनाथ धाम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूचि में शामिल कराने की मांग तक करने लगे है। भला क्यों नहीं, काशी विश्वनाथ मंदिर का पांच सौ बरस पहले वाला भव्य स्वरूप जो लौट आया है। मतलब साफ हे काशी विश्वनाथ धाम के बहाने काशी में इतिहास की एक ऐसी स्वर्ण मंजूषा निर्मित हुई है जो सालों साल तक अपनी ऊर्जा से धर्म-संस्कृति के इस धाम को रोशन करती रहेगी। आज जिस दिव्य एवं भव्य काशी विश्वनाथ धाम की सृष्टि हुई है, वह प्रधानमंत्री मोदी के मस्तिष्क में पनपा ऐसा विचार था जिसने इतिहास का कायापलट कर दिया।