लॉकडाउन: प्रवासी मजदूर परेशान, प्रशासन सो रहा कुंभकरण की नींद
बड्डूपुर बाराबंकी (भावना शुक्ला): लॉकडाउन के तहत हजारों किलोमीटर का सफर कर गांव में वापस लौटे प्रवासी मजदूरों की सुनने वाला कोई जहां पर मजदूर भूखे प्यासे अपने घरों को वापस हुए वहीं पर स्थानीय प्रशासन सो रहा है कुंभकरणी नींद।
मालूम हो ब्लाक निंदूरा क्षेत्र अंतर्गत ककरहा मजरे कतुरीकला के निवासी तेलंगाना हैदराबाद से विषम परिस्थितियों से लौटे नसीमुन ने अपने एक वर्ष बच्चे रिहान के साथ क्वॉरेंटाइन के लिए दर-दर भटक रहे है वही पर फुरकान, रिजवान, शरीफ, शकील, मोहम्मद सगीर, इरशाद, सहित 16 लोग तेलंगाना हैदराबाद से शुक्रवार की रात पैदल व प्राइवेट साधन से किसी तरह रात करीब 1बजे अपने गांव पहुंचे गांव के बाहर सारे लोगों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए गांव के निकट ही एक बाग में रुक गए।
सुबह होते ही शरीफ ने गांव के ग्राम प्रधान अवनीश कुमार वर्मा से संपर्क किया तो ग्राम प्रधान ने मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए बताया कि आप लोग अपने घरों को जाएं इसके लिए ऊपर से कोई दिशा निर्देश नहीं मिला है।
वही पर प्रवासी मजदूरों में शरीफ ने अपने फोन 9793008149 के माध्यम से क्षेत्र के खंड विकास अधिकारी सुशांत सिंह से संपर्क किया उन्होंने फोन पर बताया कि आपकी आवाज नहीं सुनाई पड़ रही है और फोन काट दिया।
जिसके चलते मजदूर शरीफ ने जिले के तेजतर्रार जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह से संपर्क किया उन्होंने उप जिलाधिकारी फतेहपुर पंकज सिंह का नंबर दिया शरीफ ने तब जाकर उप जिलाधिकारी फतेहपुर पंकज सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि आप लोग जहां पर हैं वहीं पर रहे आप लोगों की पूरी मदद की जाएगी इसी सांत्वना के साथ सुबह से शाम करीब 4 बजे तक इन प्रवासी मजदूर जोकि भूख प्यास से बेहाल थे।
इन परेशान मजदूरों को शासन प्रशासन का कोई देखने तक नहीं आया जिसके चलते गांव के बाहर एक बाग रूके हुए है इन मजबूर मजदूरों की सुध लेने वाला कोई नहीं था शासन प्रशासन द्वारा कोई व्यक्ति ना आने के कारण मजदूर शरीफ में करीब 4 बजे के बाद थक हार कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घुंघटेर के डॉक्टर आरपी से बात की तो…
आरपी वर्मा ने बताया कि आप लोगों के लिए स्वास्थ्य टीम जांच के लिए पहुंच रही हैं आप लोग जहां पर हैं वहीं पर रहे सोचने वाला विषय यह है कि जहां पर मधुर मजदूर अथक परिश्रम कर अपने परिवार के लिए दो जून रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों मैं गया था वही मजबूर मजदूर आज अपने घर के निकट पहुंचने के बाद भी अपने घर की चौखट देखने को तरस रहा है।