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मानसून की भविष्यवाणी करने वाले कानपुर के जगन्नाथ मंदिर का पत्थर भीगा, बारिश का क्या है संकेत?

लखनऊ: मानसून कब आएगा और कैसे होगा? इसकी भविष्यवाणी के लिए विख्यात कानपुर में घाटमपुर के भीतरगांव विकास खण्ड के बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। मौसम विभाग ने भले ही मानसून को लेकर अभी भविष्यवाणी नहीं की है लेकिन मंदिर के गुंबद में लगा पत्थर अभी से भीगने लगा है। लेकिन इसमें अभी बूंदें नहीं बनी हैं। बूंदों के आकार को देखकर ही मानसून कैसा रहेगा? इसकी भविष्यवाणी मंदिर के महंत करते हैं।

गांव का यह मंदिर देश-विदेश में मानसून मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस ऐतिहासिक मंदिर के गर्भगृह के भीतर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ बहन सुभद्रा की काले पत्थर की मूर्तियां स्थापित हैं। जगन्नाथ मंदिर में मानसून से पहले पानी टपकना व बरसात के दौरान मंदिर के भीतर एक बूंद भी पानी न आना किसी अजूबे से कम नहीं है।

देश व विदेशों से आने वाले वैज्ञानिक भी इस अजूबे को पता लगाने में नाकाम रहे हैं। मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि अभी मानसून की भविष्यवाणी करने में एक सप्ताह का वक्त लग सकता है क्योंकि मंदिर का पत्थर करीब एक सप्ताह पहले भीग चुका है लेकिन अभी तक उसमें बूंदें नहीं आई हैं।

चिलचिलाती धूप में पत्थर पर बूंदे, चमत्कार से कम नहीं होती
बेहटा बुजुर्ग गांव स्थित प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक पत्थर लगा है। मान्यता है कि मई-जून की चिलचिलाती धूप व गर्मी के बीच पत्थर से पानी की छोटी-बड़ी बूंदे मानसून आने के लगभग 20 दिन पहले ही टपकने लगती हैं। बारिश शुरू होने के बाद पत्थर पूरी तरह सूख जाता है। जगन्नाथ मंदिर की प्राचीनता के पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिलता है।

बौद्ध मठ जैसे आकार वाले मंदिर की दीवारें लगभग 14 फीट मोटी हैं। मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां है। पुरातत्व विभाग के मुताबिक मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी के आसपास होने के संकेत मिलते हैं। मुख्य मंदिर की वाह्य आकृति रथनुमा आकार की है, जो प्राचीन 12 खंभों पर बना हुआ है। इसके शिखर पर अष्टधातु से निर्मित विष्णु का सुदर्शन चक्र लगा है। मंदिर के गुंबद में भी चारों ओर चक्र के साथ मोर की आकृतियां बनी हैं।

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