
नई दिल्ली । पंजाब (Punjab) की भगवंत मान सरकार (Bhagwant Mann Government) ने पवित्र ग्रंथों (Sacred Scriptures) की बेअदबी को लेकर एक बेहद सख्त कानून (strict laws) का मसौदा तैयार किया है। इसमें दोषियों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा देने का प्रावधान किया गया है। यह कानून उन मामलों में भी सख्ती बरतता है जब नाबालिग या दिव्यांग व्यक्ति किसी धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी करते हैं। ऐसे मामलों में उनके अभिभावकों या संरक्षकों को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इस प्रस्तावित कानून का नाम है “पंजाब पवित्र ग्रंथ (अपराधों की रोकथाम) अधिनियम, 2025”। इसका उद्देश्य है पवित्र धार्मिक ग्रंथों की सुरक्षा, धार्मिक भावनाओं की रक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाए रखना है।
क्या है बेअदबी की परिभाषा?
कानून के तहत बेअदबी में कई तरह के कार्य शामिल होंगे। ग्रंथ को जलाना, फाड़ना, बिगाड़ना, गंदा करना, रंग बदलना, तोड़ना, नुकसान पहुंचाना या अपमानजनक व्यवहार करना बेअदबी माना जाएगा। अगर यह कार्य जानबूझकर या नफरत फैलाने की मंशा से किया गया हो।
इन पवित्र ग्रंथों को दी गई कानूनी सुरक्षा
- श्री गुरु ग्रंथ साहिब
- श्रीमद भगवद गीता
- कुरान शरीफ
- बाइबल
सजा का प्रावधान
बेअदबी के लिए न्यूनतम 10 साल की जेल, अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान रखा गया है। यदि इससे सांप्रदायिक हिंसा, या किसी की मौत या संपत्ति का नुकसान होता है तो इस नए प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक, 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। साथ ही 10 लाख से लेकर 20 लाख तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या जीवन भर की कैद हो सकती है। उच्चतम सजा पाने वाले या जुर्माना नहीं चुकाने वाले दोषियों को पैरोल या फरलो नहीं मिलेगी।
अगर नाबालिग या मानसिक रूप से असमर्थ व्यक्ति के द्वारा यह अपराध किया जाता है तो दोषियों के माता-पिता, अभिभावक या देखरेख करने वाले व्यक्ति को भी कानूनी जिम्मेदार माना जाएगा। यदि उन्होंने जानबूझकर या लापरवाही से अपनी जिम्मेदारी निभाने में चूक की हो तो अभिभावकों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
जो लोग धार्मिक कार्यों से जुड़े हैं और यदि वही बेअदबी में लिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें सबसे कठोर दंड दिया जाएगा। यदि बेअदबी की कोशिश की जाती है लेकिन वह सफल नहीं होती है तो भी 3 से 5 साल की सजा और 3 लाख तक जुर्माना का प्रावधान है।