स्पोर्ट्स डेस्क : भारत के ओलंपिक में पदक जीतने के बाद देश में फिर से हॉकी के लिए अब फिर से माहौल बन रहा रही है. हालांकि इससे पहले हॉकी में भारत का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था. वही लगातार गिरते प्रदर्शन के चलते हॉकी के राष्ट्रीय खेल होने पर सवाल खड़े होने लगे थे लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गए है.
हॉकी में भारत ने अरसे बाद पदक जीता है और इसके चलते अब हॉकी में लोगों की दिलचस्पी देखने को मिली है. हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल घोषित करने की मांग को लेकर एक मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. दरअसल याचिकाकर्ता का बोलना था कि अब तक हॉकी को ये दर्जा आधिकारिक रूप से नहीं मिला है. इस दर्जे से हॉकी को बढ़ावा मिलेगा.
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने एथलेटिक्स जैसे खेलों के लिए और अधिक सुविधा की भी मांग की थी. हालांकि उसकी इस मांग पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. याचिका में एथलेटिक्स सहित अन्य खेलों में भारत के खराब प्रदर्शन का मामला भी उठाया है.
याचिकाकर्ता का बोलना था कि 1 अरब से ज्यादा आबादी वाले बड़े देश का ओलंपिक सहित दूसरे अंतर्राष्ट्रीय खेलों में प्रदर्शन फीका रहता है. कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वो खेलों पर अधिक संसाधन खर्च करे. ऐसी नीति बनाये जिससे भारत को अधिक मेडल मिल सकें. प्लेयर्स को ज्यादा अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग दिलाई जाए.
उसने आगे बोला कि हॉकी में कभी भारत विश्वविजेता था. अब 41 वर्ष के बाद उसे ओलंपिक में कांस्य पदक मिला है. ये प्रचलित धारणा थी कि हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल है. लेकिन एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सरकार ने बोला है कि ऐसा कोई आधिकारिक दर्जा हॉकी को नहीं दिया गया है. कोर्ट केंद्र को इसका निर्देश दे. इससे भारत को इस खेल में दोबारा पहले जैसी सफलता पाने में मदद मिलेगी
मामला जस्टिस यु यु ललित, एस रविंद्र भाट और बेला त्रिवेदी की बेंच के पास गया. सुनवाई शुरू हुई तो बेंच के अध्यक्ष जस्टिस ललित ने याचिकाकर्ता से एक प्रशन पूछा और बोला कि क्या आप स्वंय खिलाड़ी है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने बोला कि वो खिलाड़ी नहीं बल्कि जिम में कसरत करता है. हालांकि उसका खेलों से कोई लेना देना नहीं है.
इसके बाद कोर्ट ने बोला कि, आपका उद्देश्य अच्छा है. हम भी इससे सहमत है. लेकिन हम इस पर सुनवाई नहीं कर सकते. इस तरह का आदेश देना कोर्ट का काम नहीं है. आप को सरकार के पास अपनी मांग रखनी चाहिए थी. कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली.
बताते चले कि भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक में मेडल जीतने में सफल रही थी. 41 वर्ष का सूखा खत्म हुआ था और भारत की झोली में कांस्य पदक आया था. भारत ने अंतिम बार 1980 में हॉकी में ओलंपिक मेडल जीता था. इतने लंबे समय बाद मनप्रीत एंड कंपनी ने इतिहास रचा था.
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-3 से हराकर टोक्यो में कांस्य पदक जीता था. हॉकी में भारत का ये 12वां ओलंपिक मेडल है. भारत इससे पहले हॉकी में आठ गोल्ड, एक सिल्वर और दो कांस्य पदक जीत चुका है. पहले क्वार्टर में 0-1 से पिछडऩे के बाद भारतीय टीम ने वापसी की.