नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग केंद्र सरकार करेगी या दिल्ली सरकार, इस सवाल का जवाब सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ तलाशेगी। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए संविधान पीठ के समक्ष भेज दिया है। पीठ ने अध्यादेश से जुड़े कानूनी सवाल भी तय कर दिए हैं, जिनका जवाब पांच सदस्यीय संविधान पीठ तलाशेगी।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुवाई वाली पीठ ने 10 पन्नों के आदेश में संविधान पीठ के लिए दो प्रारंभिक मुद्दे उठाए हैं। पहला, अध्यादेश की धारा-3ए को शामिल करने से संबंधित है। धारा-3ए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधायी शक्तियों से सूची दो यानी राज्य सूची की प्रविष्टि 41 (सेवाएं) को हटाती है।
एनसीटीडी की विधायी शक्तियों से प्रविष्टि 41 को हटाए जाने से एनसीटीडी की सरकार के पास सेवाओं पर कार्यकारी शक्ति नहीं रह जाती है, क्योंकि कार्यकारी शक्तियां विधायी शक्तियों के समान होती हैं। दूसरा मुद्दा है कि क्या कोई भी कानून सेवाओं पर दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्तियों को पूरी तरह खत्म कर सकता है। इसमें कहा गया है कि प्रविष्टि 41 के तहत सेवाओं का पहलू अध्यादेश की धारा-3ए की वैधता के साथ जुड़ा हुआ है।
संविधान पीठ इन सवालों के जवाब तलाशेगी
- संविधान के अनुच्छेद 239एए(7) के तहत कानून बनाने की संसद की शक्तियों की सीमाएं क्या हैं?
- क्या संसद अनुच्छेद 239एए(7) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) के लिए शासन के संवैधानिक सिद्धांतों को खत्म कर सकती है?