सुप्रीम कोर्ट का फैसला- अबू सलेम को नहीं मिली राहत, 25 साल बाद 2030 में ही होगी रिहाई
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 1993 मुंबई विस्फोट मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने पुर्तगाल के का जिक्र किया और कहा कि 25 साल की सजा पूरी होने के बाद गैंगस्टर अबू सलेम की रिहाई करनी होगी। अबू सलेम ने कोर्ट से 2027 में ही रिहाई की मांग की थी जिससे सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया। बता दें कि सलेम पुर्तगाल में तीन साल की सजा काट चुका चुका है। भारत में 25 साल की सजा की अवधि 10 नवंबर 2030 को समाप्त होगी। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने आज यह फैसला दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अबू सलेम ने पुर्तगाल में काटी गई तीन साल की सजा का जिक्र करते हुए साल 2027 में ही रिहाई की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘उम्र कैद का फैसला देने वाली कोर्ट प्रत्यर्पण के समय सरकार की तरफ से दूसरे देश को किए गए वादे से बंधी नहीं है। पुर्तगाल में हिरासत के 3 साल सजा का हिस्सा नहीं है। 2005 में प्रत्यर्पण हुआ है और भारत में 25 साल की सजा काटने के बाद ही सरकार निर्णय लेगी ।
साल 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के दोषी अबू सलेम को 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था। जून 2017 में सलेम को दोषी ठहराया गया और बाद में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 12 मार्च, 1993 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में सिलसिलेवार 12 धमाके हुए थे जिसमें 257 लोगों की मौत हो गई थी और 7 सौ से अधिक लोग घायल थे। बता दें कि सलेम ने पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के समय भारत सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन को आधार बनाया है। गृह सचिव ने बताया था कि नियमों का पालन न करने के बारे में अबू सलेम का तर्क समय से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित है।
सलेम ने कहा था- 25 साल से अधिक नहीं बढ़ सकती उसकी सजा
2002 में पुर्तगाल को भारत सरकार ने दिया था आश्वासन
अनुच्छेद 72 और सलेम की सजा पूरी होने के बाद केंद्र के वादे की कोर्ट ने की चर्चा
मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने आज कहा, ’25 साल पूरा होने के बाद एक माह के भीतर सभी जरूरी कागजात देने होंगे।’