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शादी की तस्वीरों में खुश दिखी पीड़िता, कोर्ट ने रेप और पॉक्सो के आरोपी को कर दिया बरी

चंडीगढ़: चंडीगढ़ की जिला अदालत ने रेप और अपहरण के एक संवेदनशील मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी युवक को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. याशिका की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शादी और रिसेप्शन की तस्वीरों में युवती ‘काफी खुश’ नजर आ रही है, जो उसकी सहमति की ओर इशारा करता है। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष यह साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा कि घटना के वक्त युवती नाबालिग थी। सबूतों के अभाव और युवती के बालिग होने की संभावना को देखते हुए अदालत ने आरोपी को दोषमुक्त करार दिया।

यह मामला 14 मई 2023 का है, जब लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी 15 वर्षीय बेटी को एक युवक शादी का झांसा देकर भगा ले गया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 376(2)(n) और पॉक्सो एक्ट की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान पुलिस और सरकारी वकील लड़की की उम्र से जुड़ा कोई भी पुख्ता दस्तावेज, जैसे स्कूल का रिकॉर्ड या जन्म प्रमाण पत्र पेश नहीं कर सके। मेडिकल जांच (ओसिफिकेशन टेस्ट) में लड़की की उम्र 15-16 साल बताई गई थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मेडिकल उम्र में दो साल की त्रुटि-सीमा (Margin of Error) जोड़ने पर लड़की की उम्र 18 साल से ऊपर मानी गई, जिससे वह बालिग सिद्ध हुई।

फैसले में जज ने शादी और रिसेप्शन की तस्वीरों का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि तस्वीरों में लड़की की खुशी साफ झलक रही है, जो किसी भी तरह से जबरदस्ती का संकेत नहीं देती। अदालत ने तर्क दिया कि आरोपी और लड़की का घर महज 5-6 मकान की दूरी पर था। अगर लड़की की मर्जी नहीं होती, तो वह आसानी से अपने घर वापस जा सकती थी या शोर मचाकर मदद मांग सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि उनके बीच कोई संबंध बने भी थे, तो वे पूरी तरह से सहमति पर आधारित थे।

अदालत ने सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि युवती और उसके पिता के बयानों में काफी विरोधाभास था, जिससे अभियोजन पक्ष की कहानी पर संदेह पैदा हुआ। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब तक अभियोजन पक्ष ठोस दस्तावेजों से यह साबित नहीं कर देता कि पीड़िता नाबालिग है, तब तक सहमति से बनाए गए संबंधों पर पॉक्सो एक्ट लागू नहीं किया जा सकता। इन तमाम तर्कों और सबूतों के अभाव के आधार पर अदालत ने आरोपी को बरी करने का आदेश सुनाया।

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