उत्तराखंड

मुख्यमंत्री धामी का विजन कर देगा प्रदेश के कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का कायाकल्प

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा निभा रहे अहम जिम्मेदारी

नई दिल्ली: दिल्ली में केंद्रीय पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड(एनएफडीबी) प्रबंधन कमेटी की बैठक में उत्तराखंड के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने भाग लिया। उन्होंने राज्य में मत्स्य, पशुपालन व डेयरी से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। 

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत राज्य को पिछले दो वर्षों में 114.22 करोड़ रुपये केंद्र की ओर से दिए गये। प्रदेश में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं, जिससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकता है। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई है।

उत्तराखंड के पशुपालन मंत्री की केंद्र सरकार से मांगें :

  • पशुपालन मंत्री ने कहा कि राज्य में भेड़ों के नस्ल सुधार और ऊन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नेशनल लाइव स्टाक मिशन के तहत आस्ट्रेलिया से 500 मेरिनो भेड़ आयात की अनुमति दी जाए।
  • इसके अलावा प्रदेश में लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए राज्य को डेढ़ करोड़ गोटपॉक्स वैक्सीन की डोज उपलब्ध कराने की मांग भी रखी।
  • नेशनल डिजिटल लाइव स्टाक मिशन योजना को प्रदेश के सभी जिलों में शुरू करने के लिए धनराशि जारी करने का आग्रह किया। 
  • पशुपालकों को घर द्वार पर आधुनिक तकनीक से परीक्षण और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य को 35 अतिरिक्त मोबाइल वेटनरी वैन उपलब्ध कराने का मुद्दा केंद्रीय मंत्री के समक्ष उठाया है। 
  • ऊधमसिंह नगर जिले में 45 एकड़ जमीन पर एक्वा पार्क बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। इसी तरह पर्वतीय क्षेत्रों में भी एक्वा पार्क बनाने की योजना है। 
  • मत्स्य पालन के लिए अवस्थापना विकास, बीमा, पर्वतीय क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को तालाब निर्माण में सहायता देने, ग्राम समाज के तालाबों का सुधार समेत अन्य कार्य के लिए बजट आबंटन का आग्रह भारत सरकार से किया गया है।

भीमताल स्थित शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय की क्षमता का भरपूर हो इस्तेमाल :

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि भीमताल में केंद्र सरकार का शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय स्थापित है। इस संस्थान में हर साल प्रदेश के दो हजार मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए, जिससे वह नवीन तकनीकी से मछली पालन कर सके। राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय के माध्यम से राज्य स्तरीय एंग्लिंग पोर्टल तैयार किया जाएगा। 

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