अभी नहीं थमने वाला है युद्ध! अमेरिकी हथियारों से रूस की नाक में दम कर रहा यूक्रेन
नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध को 10 महीने से ज्यादा का समय हो गया है. अब ऐसा लग रहा है कि युद्ध रूस के खिलाफ मोड़ ले रहा है. यूक्रेन में लेटेस्ट अमेरिकी एल्गोरिथम वेपन सिस्टम की तैनाती हुई है. इसका रूस आक्रमणता से जवाब दे सकता है. इसका खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर प्रभाव है, जिससे यूरोप में अनिश्चिता का माहौल है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर की साइप्रस और ऑस्ट्रिया की सप्ताह भर की यात्रा के दौरान यह सामने आया कि यूक्रेन अब रूसी हमले का जवाब देने सक्षम है और इसके परिणामस्वरूप पूर्वी यूक्रेन में डोनबास और लुहांस्क क्षेत्र को बचाने के लिए रूस बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है. यूएस एल्गोरिथम हथियार सिस्टम और लंबी दूरी की आर्टिलरी गन की निरंतर आपूर्ति होने से ये भी संभावना है कि यूक्रेन युद्ध को रूसी क्षेत्र में भी ले जा सकता है.
अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर ने वियना में डीजी आईएईए राफेल गोसी के अलावा साइप्रस, ऑस्ट्रियाई लीडरशिप, बल्गेरियाई राष्ट्रपति, चेक और स्लोवाक के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की. यह समझा जाता है कि पूर्वी यूरोपीय नेतृत्व के साथ उनकी बातचीत के दौरान यह काफी स्पष्ट था कि यूक्रेन युद्ध जारी रह सकता है और यूरोप में बढ़ती अस्थिरता को बढ़ा सकता है.यह भी माना जाता है कि जयशंकर इस यात्रा के दौरान साइप्रस, ऑस्ट्रिया, चेक और स्लोवाक नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख को पूरी तरह से समझा है. इसके साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ भारत के रूख को भी सराहा है.
यूरोपीय विदेश मंत्रियों ने ये भी समझा है कि पिछले सात दशकों में रूस के साथ भारत के पुराने मजबूत संबंध रहे हैं. मॉस्को के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण थोड़े समय में ये संबंध समाप्त नहीं हो सकते. तथ्य यह है कि 60-70 प्रतिशत से अधिक भारतीय हार्डवेयर और गोला-बारूद रूस के हैं और दोनों के पिछले कई दशकों से घनिष्ठ संबंध हैं. भारत के उसके पड़ोसियों के साथ जिस तरह के संबंध है, उसे देखते हुए भी भारत अपने हितों को देखते हुए रूस के साथ संबंधों को खराब नहीं कर सकता है.
निकोसिया और वियना में राजनयिकों के अनुसार, जयशंकर के समकक्षों और सीनियर लीडरशिप ने नरेंद्र मोदी सरकार के उन कदमों की भी सराहना की जिसके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का विस्तार किया गया. इसके साथ ही कोविड वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए कदम उठाए गए. यहां तक की न केवल अपनी आबादी का टीकाकरण किया बल्कि अन्य देशों खासकर ग्लोबल साउथ को प्रभावी तरीके से वैक्सीन उपलब्ध कराई.
यात्रा के दौरान जयशंकर ने यूक्रेन में जारी संघर्ष पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि भारत शांति के पक्ष में है और युद्ध की शुरुआत से ही हमारी कोशिश यही रही है कि मॉस्को और कीव कूटनीति एवं संवाद के माध्यमों की ओर लौटें क्योंकि मतभेदों को हिंसा से नहीं सुलझाया जा सकता. उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष वास्तव में अत्यंत गहरी चिंता का विषय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में घोषणा की कि हम वास्तव में मानते हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है. आप हिंसा के माध्यम से मतभेदों और मुद्दों को नहीं सुलझा सकते.
जयशंकर ने प्रवासी भारतीयों को यह भी बताया कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में व्यापक परिवर्तन हुए हैं. उन्होंने कहा कि इसमें से अधिकांश चीन के साथ हमारी उत्तरी सीमा पर हमारे सामने उत्पन्न तीव्र चुनौतियों के आसपास केंद्रित है. हमें पाकिस्तान की ओर से लगातार सीमा पार आतंकवाद की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है.