दुनिया आज फास्ट फैशन की भूखी है-मिहिका
मुंबई (अनिल बेदाग) : पहले और आज के दौर में बहुत फर्क आ गया है। बच्चों और युवा पीढ़ी की सोच बदल गई है। उनकी प्राथमिकताएं बदल रही हैं। यहां हम युवाओं की नहीं, बच्चों की बात करेंगे, जिनमें बाजार को लेकर भी जागरूकता आ गई है। फैशन जगत में क्या अच्छा है क्या बुरा, उन्हें सब मालूम है। मुंबई की मिस मिहिका शिवराज इंगोले उम्र में काफी छोटी हैं लेकिन फैशन बाजार को लेकर उनकी समझ काफी बड़ी है। वो बदलते बाजार समीकरण को अच्छी तरह से जान गई हैं। फास्ट फैशन को लेकर भी वह अपना नजरिया पेश करती हैं। इसके कई नकारात्मक पहलू भी हैं। उनका मानना है कि फ़ास्ट फ़ैशन सस्ते लेकिन स्टाइलिश कपड़ों का वर्णन करता है जो सावधानीपूर्वक पेश किए गए नए संग्रहों के साथ रुझानों को पूरा करने के लिए डिजाइन से खुदरा दुकानों तक तेजी से बढ़ते हैं।
मिहिका के अनुसार दुनिया आज फास्ट फैशन की भूखी है और अपनी मांगों को पूरा करने के लिए फैशन ब्रांड अपने उत्पादों का जरूरत से ज्यादा स्टॉक कर रहे हैं। 1970 के बाद से वैश्विक आबादी लगभग दोगुनी हो गई है, लेकिन फैशन की वृद्धि कई गुना बढ़ गई है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार फैशन उद्योग वैश्विक अपशिष्ट जल के 20% और कार्बन उत्सर्जन के 10% के लिए जिम्मेदार है, परिधान के लिए उपयोग की जाने वाली लगभग 60% आधुनिक सामग्रियां सिंथेटिक हैं, जिससे हर साल पांच लाख टन माइक्रोफाइबर समुद्र में छोड़े जाते हैं।
डेनिम उत्पादन में कीटनाशकों, उर्वरक रंगों और फिनिशिंग एजेंटों सहित विभिन्न हानिकारक रसायन शामिल होते हैं। बांस के सेल्युलोज से बने लियोसेल जैसे कपड़े बंद लूप उत्पादन चक्र में बनाए जाते हैं जिसमें कपड़े के फाइबर को विकसित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले 99% रसायनों को पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। जब आपके कपड़े अपने जीवन चक्र के अंत में हों तो कपड़े को दोबारा इस्तेमाल करने पर विचार करें। आप कपड़े को रजाई, तकिया या अन्य परिधान में बदलकर रचनात्मक बन सकते हैं। यदि आप नहीं जानते कि कैसे सिलाई की जाती है, तो सीखने में कभी देर नहीं होगी।
फास्ट फैशन को कम करने के उपाय भी हैं। टिकाऊ फैशन खरीदें, सेकेंड हैंड कपड़े खरीदें, कपड़ा अपशिष्ट प्रबंधन, कपड़ों की अदला-बदली की मेजबानी करें। फैशन को ख़त्म करने से हमारी धरती पर भारी बोझ उतर जाएगा। हम पानी और कार्बन उत्सर्जन बचाएंगे और कपास की खेती में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों और कीटनाशकों और रंगों में इस्तेमाल होने वाले खतरनाक रसायनों से होने वाले प्रदूषण को भी रोकेंगे।