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देश की सीमा को लेकर कोई समझौता नहीं, चीन के पीछे हटने तक हम डटे रहेंगे : लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव लगातार बरकरार है. चीन की सेना यहां से पीछे हटने को फिलहाल तैयार नहीं दिखती. लिहाजा भारतीय सेना ने करारा जवाब देने के लिए कमर कस ली है. हर रोज़ ट्रकों के जरिए राशन, गर्म कपड़े, केरोसिन, दवाइयां और हर वो सामना भेजा जा रहा है जिसकी सेना को सीमा पर डेरा डालने के लिए जरूरत पड़ेगी. लद्दाख में भीषण ठंड पड़ती है. यहां तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है. ऐसे में यहां के मौसम को देखते हुए भारतीय सेना ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है.

पिछले 12 हफ्तों से एलएसी पर तनाव बरकरार है. चीन भारतीय इलाक़ों में अब भी अपनी सेना के साथ डटा हुआ है और वहां से वापस जाने का नाम नहीं ले रहा है. मेजर जनरल स्तर की दर्जनों बैठकें हो चुकी हैं, कोर कमांडर स्तर की भी चार बैठकें हो चुकी हैं. इसके अलावा अजित डोभाल भी बातचीत कर चुके हैं. लेकिन जमीनी स्तर पर अब भी ठोस बदलाव नहीं आया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक भारतीय सेना मोर्चे पर डटी रहेगी? लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने कहा कि जब तक चीन की सेना पीछे नहीं हटती हमलोग मोर्चे पर डटे रहेंगे. वो अप्रैल में जिस जगह थे उन्हें वहां जाना होगा. उन्होंने कहा, ‘ मैं आपको सरल शब्दों में बता सकता हूं कि हम एलएसी के साथ यथास्थिति बहाल करने के सभी प्रयास जारी रखेंगे.’

भारत की उत्तरी सीमाओं के प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने कहा, ‘हर प्रक्रिया का एक तरीका है. चीन से हमारी बातचीत चल रही है. देश की क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जाता है. हम सीमा पर शांति लाने के लिए चल रहे इस प्रयास में ईमानदारी से लगे हैं. हम किसी भी स्थिति के लिए हर समय तैयार रहते हैं.’ यह पूछे जाने पर कि अगले छह महीने को वो किस तरह देखते हैं. इस सवाल के जवाब में लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने कहा, ‘हम चुनौतीपूर्ण समय में जी रहे हैं और हालात ऐसे ही बने रहेंगे. राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए हम मोर्चे पर डटे रहेंगे.’ लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने अपना आधा करियर लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में बिताया है. वो उत्तरी कमान के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले लेह-स्थित 14 कोर के कमांडर थे. लेफ्टिनेंट जनरल जोशी चीनी भाषा भी बोलते हैं.

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