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झारखंड की सत्ता के गलियारे में 4 जून के बाद मचेगी हलचल, बदल सकते हैं कई ‘चेहरे’

रांची : लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद झारखंड की सियासत में हलचल मचेगी। जेएमएम-कांग्रेस-राजद के गठबंधन वाली सरकार में कई स्तरों पर बदलाव के आसार हैं। लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर कल्पना सोरेन सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरी हैं। बड़ा सवाल यह है कि अगर कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचती हैं तो क्या वह सरकार के मौजूदा मुखिया चंपई सोरेन की जगह लेंगी?

यह सवाल कल्पना सोरेन से कई इंटरव्यू में पूछा गया तो उनका डिप्लोमैटिक जवाब था, ”यह मेरा लुकआउट नहीं है। कोई भी निर्णय पार्टी और संगठन की ओर से लिया जाएगा। पार्टी नेतृत्व ही तय करता है कि किसकी भूमिका क्या होगी।”

सियासत के जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में होने हैं और मौजूदा सरकार के कार्यकाल के महज पांच-छह महीने बचे हैं। ऐसे में झामुमो का नेतृत्व कल्पना सोरेन के लिए चंपई सोरेन को सीएम की कुर्सी से हटाने की जोखिम नहीं लेगा। ऐसा करने से पार्टी में आंतरिक कलह गहरा सकता है और टूट की भी स्थिति पैदा हो सकती है।

ऐसे में संभव है कि कल्पना सोरेन को अगले कुछ महीनों के लिए राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में जगह दी जाए। मंत्रिमंडल में वह स्वाभाविक तौर पर हेमंत सोरेन का ही ‘प्रतिनिधित्व’ करेंगी और सरकार पर प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर उनका काफी हद तक नियंत्रण होगा।

इस मसले पर भारतीय जनता पार्टी के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं, ”हेमंत सोरेन जेल में हैं, चंपई सोरेन सीएम हैं और कल्पना सोरेन सीएम बनने के रास्ते में हैं। ऐसे में 4 जून को चुनावी नतीजे सामने आने के बाद इंडी गठबंधन के भीतर सत्ता के लिए झगड़ा बढ़ना तय है।”

चुनाव के लिए जब प्रचार अभियान जोरों पर था, उसी दौरान झारखंड सरकार में नंबर दो की हैसियत वाले कांग्रेसी मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले में गिरफ्तार कर लिया। उनके जेल गए पंद्रह दिन गुजर गए हैं, लेकिन उन्होंने अब तक मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है।

माना जा रहा है कि 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद पार्टी और सरकार उन्हें इस्तीफा देने को कहेगी, क्योंकि उनके जेल में होने की वजह से ग्रामीण विकास विभाग की कई योजनाओं पर विराम लग गया है। विभाग में पेंडिंग फाइलों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में आलमगीर आलम की जगह कांग्रेस कोटे से किसी अन्य विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह या जामताड़ा के विधायक डॉ. इरफान अंसारी में से किसी एक की ‘लॉटरी’ लग सकती है। राज्य में चुनाव परिणाम अगर कांग्रेस की उम्मीदों के अनुरूप नहीं हुए तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है।

इसके अलावा ब्यूरोक्रेसी में भी टॉप लेवल पर कई बदलाव तय माने जा रहे हैं। राज्य के एक सीनियर आईएएस और पथ एवं भवन निर्माण विभाग के सचिव मनीष रंजन ईडी जांच के रडार पर हैं। उनसे एजेंसी एक बार पूछताछ कर चुकी है और दूसरी बार उन्हें 3 जून को हाजिर होने के लिए समन भेजा गया है। उन्हें उनके पद से हटाया जा सकता है। ईडी जांच का दायरा बढ़ने से कुछ अन्य आईएएस भी इधर-उधर किए जा सकते हैं।

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