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होली पर घर जाने में नहीं होगी दिक्कत, बिहार-यूपी के लिए चलेंगी 350 स्पेशल ट्रेनें

नई दिल्ली : रेलवे बोर्ड हर साल की तरह इस बार होली पर 350 से अधिक स्पेशल ट्रेनें चला रहा है। लेकिन बड़े पैमाने पर रेल संरक्षा कार्यों के चलते प्रतिदिन 407 नियमित यात्री ट्रेनें आशिंक-पूर्ण रूप से रद हो रही हैं। परिचालन में बाधा के चलते हर रोज दर्जनों ट्रेन 2 से 6 घंटे देरी से गंतव्य पहुंच रही हैं। इसमें लोकप्रिय मेल-एक्सप्रेस, सुपरफास्ट सहित प्रीमियत ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस भी शामिल हैं। ऐसी परिस्थितियों में होली पर परिवार सहित घर जाने वाले लाखों रेल यात्रियों को भारी परेशाानी उठानी पड़ रही है।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 मार्च में समाप्त हो जाएगा। इसलिए रेलवे ट्रैक के उन्नयन, इंटरलॉकिंग, विद्युत कार्य आदि को तय लक्ष्य में पूरा करने का काम जोरों पर चल रहा है। रेल संरक्षा कार्यें के लिए मेघा ब्लाक लिए जा रहे हैं, जिससे संरक्षा कार्यों को किया जा सके। मेघा ब्लाक अथवा ब्लाक लेने पर पटरी पर दौड़ रही ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो रहा है। गुरुवार को दिल्ली आने वाली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस 3.15 मिनट, बिहार संपर्क क्रांति 3.45 मिनट, दुर्ग जम्मू तवी पांच घंटे, कर्नाटक एक्सप्रेस छह घंटे, मंगध एक्सप्रेस दो घंटे, भुवनेश्वर राजधानी 4.30 मिनट देरी से गंतव्य पहुची। इसी प्रकार दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-जम्मू, दिल्ली-मुंबई रेल रूट पर ट्रेनें दो घंटे से छह घंटे देरी से चल रही हैं।

नियमित ट्रेनें (टाइम टेबल वाली ट्रेनें) के देरी से चलने के अलावा हर रोज बड़ी संख्या में आंशिक-पूर्ण रूप से रद की जा रही है। यह स्थिति पिछले दो हफ्तों से बनी हुई है। रेलवे बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार गुरुवार को 296 नियमित ट्रेन पूर्ण और 101 नियमित ट्रेन आशिंक रूप से रद की गईं हैं। यह स्थिति अभी आगे भी बनी रहेगी।

रेलवे बोर्ड होली पर एक तरफ नियमित ट्रेनों को रद कर रहा है, वहीं होली स्पेशल के नाम पर 350 ट्रेनें चला रहा है। इसके अलावा 173 स्पेशल ट्रेन भीड़ को ध्यान में रखकर चलाया जाएगा। यह ट्रेनें दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, पटना, मुजफ्फरनगर, कोलकाता, राची, मुंबई, चंडीगढ़, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, जयनगर सहित कई अन्य शहरों के बीच चलाई जाएंगी।

हालांकि आम रेल यात्री किसी भी त्यौहार पर स्पेशल ट्रेन में सफर करने से परहेज करता है। इसका कारण यह है कि स्पेशल ट्रेन का कोई टाइम टेबल नहीं होता है। ऐसी ट्रेन नियमित ट्रेनों के टाइम टेबल के बीच में चलाया जाता है। यही कारण है कि स्पेशल ट्रेन को बीच रास्ते में लूप लाइन में खड़ा कर दिया जाता है और नियमित ट्रेन को पहले हरी हरी झंडी दिखाई जाती है। यह क्रम स्पेशल ट्रेन के गंतव्य पहुंचने तक चलता रहा है। इसलिए स्पेशल ट्रेन के चलने का टाइम है पर गंतव्य पहुचने का कोई टाइम नहीं होता है।

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