नई दिल्ली : उत्तर भारत में मानसून तारीख निकल जाने के बावजूद सक्रिय है। मानसून के चार महीनों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई राज्य सूखे की चपेट में रहे, क्योंकि उस दौरान बारिश बहुत कम हुई। लेकिन, जब मानसून की विदाई का वक्त शुरू हुआ तो यहां झमाझम पानी बरसने लगा। मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर प्रदेश समेत पूर्व और मध्य भारत में मानसून अभी सक्रिय है। 10 अक्तूबर तक बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी। मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने ‘हिन्दुस्तान’ से कहा कि उत्तर प्रदेश में कई दिनों से हो रही बारिश मानसून की सक्रियता के चलते है। इसी प्रकार मध्य एवं पूर्व हिस्से में भी मानसून की गतिविधियां अभी जारी हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश से मानसून के विदा होने की तारीख 30 सितंबर है। पांच अक्तूबर तक यह समूचे उत्तर प्रदेश और 10 अक्तूबर तक बिहार एवं झारखंड से भी विदा हो जाता है। लेकिन, इस बार यह प्रक्रिया करीब एक हफ्ते विलंब से चल रही है।
बता दें कि मानसूम के छंटने की प्रक्रिया राजस्थान के इलाकों से 17 सितंबर से शुरू होती है। इस बार यह थोड़ा विलंब से 20 सितंबर से शुरू हुआ, लेकिन 20-28 सितंबर के बीच यह प्रक्रिया बेहद धीमी रही तथा कुछ ही इलाकों से मानसून ने विदाई ली। इसके बाद तीन अक्तूबर तक कुछ और स्थानों कच्छ, गांधीनगर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा हिमाचल प्रदेश से मानसून ने विदा ली। लेकिन, समूचे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में मानसून अभी भी सक्रिय है।
मौसम विभाग के अनुसार मानूसन के चार महीनों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल के गंगीय क्षेत्र सूखे की चपेट में रहे। यहां बारिश में सामान्य में 50 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई। इसके चलते थान की बुआई प्रभावित हुई। कुछ स्थानों पर पछेती किस्में लगाई गईं तो कहीं-कही वैकल्पिक फसलें अपनाई गईं। जबकि मानसून की अवधि निकल जाने के बाद पिछले छह दिनों में इन राज्यों में झमाझम बारिश हुई है। उत्तर प्रदेश में सामान्य से 227 फीसदी, बिहार में 91 तथा झारखंड में 80 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान कई इलाकों में रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है। इनमें महाराजगंज में 41, गोंडा में 36, अयोध्या में 31, गोरखपुर में 30,श्रावस्ती में 23, सिद्धार्थनगर में 22 सेमी रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी 10 अक्तूबर तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है। कुछ इलाकों में गरज के साथ बौछारें पढ़ने की आशंका है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि भारी बारिश के चलते खेतों में खड़ी धान की फसल को नुकसान हो सकता है। दूसरे, जो फसलें अभी तैयार होने को हैं, उनके लिए यह बारिश नुकसानदायक साबित हो सकती है।
बता दें कि पिछले एक दशक से लगातार यह रुझान देखा गया है कि उत्तर भारत में मानसून समय से देरी से पहुंचता है तथा तिथि निकल जाने के बाद भी सक्रिय रहता है। वैज्ञानिक इसके पीछे जलवायु खतरों को कारण मानते हैं। इसके चलते कुछ साल पहले मौसम विभाग ने मानसून की आने-जाने की तारीखों में बदलाव भी किया था।