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आपके शैंपू में हैं ये 5 केमिकल तो हो जाएं सावधान, इस घातक बीमरी का हो सकता है खतरा!

नई दिल्ली : घने, सिल्की और चमकदार बालों की ख्वाहिश में लोग तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। महंगे शैम्पू और कंडीशनर खरीद लाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शैम्पू बनाने में जिन कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, वो असल में हमारी सेहत के लिए कितने खतरनाक हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स दावा करते हैं कि शैम्पू में पाए जाने वाले कुछ खास किस्म के कैमिकल कैंसर जैसी भयंकर बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं। आइए आज आपको शैम्पू में इस्तेमाल होने वाले 5 ऐसे हानिकारक कैमिकल्स के बारे में बताते हैं, जो कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बन सकते हैं।

बालों की देखभाल के लिए कुछ शैम्पू निर्माता कंपनियां (companies) अपने प्रोडक्ट में Parabens नाम के कैमिकल का इस्तेमाल करती हैं। ये आपके शैंपू में बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। Parabens को एस्ट्रोजन हार्मोन के फंक्शन की नकल करने के लिए जाना जाता है, जो महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।

शैम्पू बनाने में इस्तेमाल होने वाले सिलेनियम सल्फाइड में कैंसर (cancer) पैदा करने वाला कम्पाउंड कार्सिनोजेन पाया जाता है। चूहों पर हुए एक शोध (research) में पाया गया है कि सिलेनियम सल्फाइड के कारण ट्यूमर यानी कैंसर से जुड़ी समस्या विकसित हो सकती है। इसलिए अपना एंटी-डैंड्रफ (anti dandruff) शैम्पू खरीदने से पहले उस पर लिखी डिटेल को अच्छी तरह पढ़ें और तभी शैम्पू खरीदें।

हेयर केयर प्रोडक्ट्स में क्वाटेरनियम-15 नाम के कैमिकल कम्पाउंड का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह एक अमोनियम सॉल्ट है जिसे कार्सिनोजेनिक कहा जाता है। क्वाटरनियम-15 के इस्तेमाल से संभवत: आपकी आंखों पर भी बुरा असर डालता है।

साल 2016 में कई देशों ने अपने यहां एंटी बैक्टीरियल साबुन में इस्तेमाल होने वाले Triclosan को बैन कर दिया था। इसका इस्तेमाल साबुन और शैम्पू समेत टूथपेस्ट और दुर्गंध दूर करने वाले डियोड्रेंट में भी किया जाता था। क्या आप जानते हैं कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाला यह कैमिकल हमारे हार्मोन को डिस्टर्ब कर कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।

स्किन और बालों के लिए इस्तेमाल होने वाले खुशबूदार प्रोडक्ट्स में दर्जनों प्रकार के कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसे कैमिकल कम्पाउंड हमारे रीप्रोडक्टिव सिस्टम को डिसटर्ब कर सकते हैं। इतना ही नहीं, इनके अत्यधिक उपयोग से हम कैंसर और अस्थमा जैसी बीमारियों का भी शिकार हो सकते हैं।

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