हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी बहुत ज़रूरी होती है क्योंकि ये आपको सीधे खड़े होने, अपना वज़न उठाने और कमर को सहारा देने और लचीले कामों को करने में मदद करती है और स्पाइनल कोर्ड की भी सुरक्षा प्रदान करती है। रोज़मर्रा के कुछ ऐसे काम होते हैं जो स्पाइन को नुकसान पहुंचाते हैं, इनके बारे में आपको ज़रूर पता होना चाहिए।
कमर दर्द का कारण
स्पाइन को नुकसान होने पर ही कमर में दर्द होता है और मांसपेशियों में लगी कोई चोट या स्पाइन को सपोर्ट करने वाली लिगामेंट्स में लगी चोट से कमर दर्द हो सकता है। स्लिप्ड डिस्क की वजह से भी कमर दर्द होता है क्योंकि इसमें डिस्क पर दबाव पड़ता है। ये कार्टिलेज को साइड में धकेल देता है जिससे कार्टिलेज स्पाइनल कोर्ड की नसों पर दबाव बनाता है और इससे बहुत तेज़ दर्द होता है।
इसके अन्य कारणों में ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोअर्थराइटिस, स्पाइनल स्टेनोसिस, फाइब्रामाइल्गिया भी शामिल हो सकता है। अगर आपको उपरोक्त बताई गई कोई भी समस्या नहीं है तो आपकी कमर दर्द का कारण रोज़मर्रा के कुछ काम हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि हमारी रोज़ाना की लाइफ के वो क्या काम हैं जो कमर दर्द का कारण बनते हैं:
भारी वज़न वाला एक्सरसाइज़
भारी वज़न वाले एक्सरसाज़ से स्पाइन की बोन डेंसिटी बढ़ती है और कमर और स्पाइन के आसपास की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं। लेकिन अगर आप बहुत ज़्यादा ही वज़न उठा लेते हैं तो इससे कमर में दर्द हो सकता है।
इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन की मानें तो आप एक हफ्ते में बस चार बार ही 30 से 40 मिनट तक भारी वज़न उठा सकते हैं।
गलत पॉश्चर
गलत पॉश्चर की वजह से स्पाइन के मिसअलाइनमेंट के कारण आपकी स्पाइन को नुकसान पहुंच सकता है जोकि घुटनों पर दबाव को बढ़ा सकता है। अपने पॉश्चर को ठीक करने के लिए सीधे खड़े हों और सीधे बैठें और कंधों को नीचे रखें। अपनी स्पाइन को बेहतर करने के लिए आप स्पाइन लैंथनिंग स्ट्रेच भी कर सकते हैं।
फोन पकड़ने का तरीका
सर्जिकल टेक्नोलॉजी इंटरनेशनल की एक नई स्टडी में पता चला है कि मोबाइल फोन की वजह से हमारे स्पाइन पर 50 पाउंड तक दबाव ज़्यादा पड़ता है और ये हमारे फोन पकड़ने के तरीके पर निर्भर करता है।
जब आप अपने फोन की स्क्रीन पर देखते हैं और झुके हुए होते हैं तब इस पोजीशन की वजह से ऊपरी स्पाइन ओवर फ्लेक्स्ड पोजीशन में आ जाती है जिसका स्पाइनल डिस्क पर गलत असर पड़ता है।
स्मोकिंग
रोज़ स्मोकिंग करने से भी आपके स्पाइन को नुकसान पहुंच सकता है। निकोटिन स्पाइनल कोर्ड के आसपास सामान्य रक्तस्राव को बाधित करता है जिसकी वजह से कमर दर्द होता है। इसके प्रभाव से प्रीमैच्योर डिस्क डिजेनरेशन हो सकता है। इसके अलावा धूम्रपान डिस्क के पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता को भी कम कर देती है जिसका असर स्पाइन की सेहत पर पड़ता है।
गलत जूते पहनने से
गलत जूते पहनने, खासतौर पर हाई हील्स की वजह से भी स्पाइन करवेचर अलाइनमेंट से बाहर हो जाता है। पैरों पर दबाव कम करने के लिए स्नीकर्स, बूट्स या फ्लैट शूज़ पहने जा सकते हैं।
कम कैल्शियम लेना
हड्डियों की सेहत के लिए कैल्शियम बहुत ज़रूरी होता है और डेयरी प्रॉडक्ट्स में कैल्शियम प्रचुरता में पाया जाता है इसलिए इन्हें अपने आहार में ज़रूर शामिल करना चाहिए। अगर आप कम मात्रा में कैल्शियम लेते हैं तो शरीर हड्डियों में मौजूद कैल्शियम का इस्तेमाल करने लगता है और इस वजह से स्पाइन कमज़ोर हो जाती है।
ब्रेक लिए बिना बैठे रहना
डेस्क जॉब की वजह से भी कमर दर्द हो सकता है। घंटों तक बिना रूके कुर्सी पर बैठे रहने से कमर के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता है। कमर को आराम देने के लिए बीच-बीच में उठते रहें या कमर के पीछे कुशन लगाएं।
दवाएं
कुछ दवाएं भी आपकी हड्डियों को कमज़ोर कर सकती हैं, खासतौर पर स्टेरॉएड्स। आप जितने ज़्यादा स्टेरॉएड्स लेते हैं उतना ही ज़्यादा आपके शरीर और स्पाइन पर दबाव पड़ता है। स्टेरॉएड दवाओं का प्रमुख असर मेटाबॉलिज्म के कैल्शियम, विटामिन डी और हड्डियों पर पड़ता है जिसकी वजह से हड्डियों को नुकसान होता है और उनके टूटने या ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा रहता है।
गलत पोजीशन में सोना
अगर आपके सोने की पोजीशन गलत है तो इससे स्पाइन को नुकसान होता है। मान लीजिए अगर आप पेट के बल सोते हैं तो ये आपकी स्पाइन की सेहत के लिए गलत है। इससे स्पाइन आर्क और गर्दन पर बहुत दबाव पड़ता है जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द, कमर दर्द और गर्दन में दर्द रहता है।