नई दिल्ली : ल्यूकेमिया (Leukemia) एक प्रकार का कैंसर है, जो व्हाइट ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है। जानकर हैरत होगी, लेकिन हर साल 60 हजार से ज्यादा लोगों को ल्यूकेमिया होता है। ल्यूकेमिया होने का रिस्क उम्र के साथ बढ़ता जाता है, लेकिन फिर भी यह बीमारी 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी विकसित हो सकती है। दरअसल, ल्यूकेमिया ब्लड और बोन मैरो का कैंसर है। वैसे तो कैंसर कहीं भी हो सकता है, लेकिन ल्यूकेमिया तब विकसित होता है, जब बोन मैरो में ल्यूकेमिया सेल्स की एब्रॉर्मल और तेजी से वृद्धि होती है। जो जल्द ही बोन मैरो में अन्य नॉर्मल ब्लड सेल्स से ज्यादा हो जाती है।
नतीजतन ल्यूकेमिया सेल्स ब्लड स्ट्रीम में नॉर्मल ब्लड सेल्स के रिलीज को बाधित करते हैं। इससे अलग-अलग अंगों और टिशूज को मिलने वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति में गिरावट आती है। इन सभी स्थितियों के कारण शरीर संक्रमण और ब्लड क्लॉट्स के लिए प्रोन हो जाता है। ल्यूकेमिया में थकान, वजन घटना, बार-बार संक्रमण होना, एनीमिया, बुखर या ठंड लगना, हड्ड़ियों में दर्द और ब्लीडिंग जैसे कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
खास बात यह है कि आप कभी नहीं जान सकते कि आपको ल्यूकेमिया कैसे हुआ , क्योंकि इसका कोई सटीक कारण नहीं होता। फिर भी वैज्ञानिकों ने इसके कुछ रिस्क फैक्टर्स की खोज की है। वर्ल्ड कैंसर डे के मौके पर हम आपको ऐसे 8 तरह के लोगों के बारे में बताएंगे, जिन्हें ल्यूकेमिया का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है।
इन 8 तरह के लोगों पर वार करता है ल्यूकेमिया-
महिलाओं के मुकाबले पुरूषों पर करता है अटैक वैसे तो ल्यूकेमिया या ब्लड कैंसर किसी को भी हो सकता है। लेकिन महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में इसके मामले सबसे ज्यादा देखे जाते हैं। कैंसर थैरेपी लेने वाले रोगी को
अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो कीमोथैपी और रेडिएशन थैरेपी से गुजर रहे हैं, तो ऐसे में कुछ प्रकार के ल्यूकेमिया का जोखिम बढ़ जाता है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र के आसपास रहने वाले लोगों को
लंबे समय तक बिजली लाइन के पास या टॉवर के संपर्क में रहना किसी व्यक्ति के एएलएल यानी एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL) के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है।
देखा जाए, तो धूम्रपान सीधेतौर पर ल्यूकेमिया का कारण नहीं है, लेकिन जो व्यक्ति नियमित रूप से सिगरेट पीता है , उसमें एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया (AML) का खतरा बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है।
ज्यादातर ल्यूकेमिया का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया, क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया से पीड़ित रोगी की आयु 65 वर्ष और उससे ज्यादा होती है। हालांकि एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया के ज्यादातर मामले 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखे जाते हैं।
अगर कोई व्यक्ति गैसोलीन में पाए जाने वाले बैंजीन जैसे केमिकल के संपर्क में आता है, तो वह ल्यूकेमिया से पीड़ित हो सकता है। अनुवांशिक विकार से ग्रसित व्यक्ति को ल्यूकेमिया की संभावना-
अनुवांशिक असामान्यताएं ल्यूकेमिया के विकास में एक भूमिका निभाती हैं। कुछ अनुवांशिक विकार जैसे डाउन सिंड्रोम , ल्यूकेमिया के बढ़ते जोखिम से जुड़े हुए हैं।
ल्यूकेमिया कैंसर का एक रूप है, जो बोन मैरो में मौजूद ब्लड बनाने वाले सेल्स को प्रभावित करता है। इसे रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, फिर भी जीवनशैली में कुछ बदलाव करके और स्वस्थ आदतों का पालन करके इस प्रकार कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञ इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए लोगों को धूम्रपान न करने, शरीर का स्वस्थ वजन बनाए रखने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की सलाह देते हैं।
ज्यादातर ल्यूकेमिया का कोई पारिवारिक संबंध नहीं होता। हालांकि यदि आप किसी सीएलएल क्रॉनिक लिंफोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) रोगी के फर्स्ट डिग्री रिश्तेदार हैं या फिर आपका कोई आइडेंटिकल ट्विन है, तो उस व्यक्ति को ल्यूकेमिया विकसित होने का खतरा बना रहता है।