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कैंसर, डायबिटीज और मोटापे समेत कई बीमारियों की जड़ हैं ये White Food

नई दिल्ली : आज के भागदौड़ भरे लाइफस्टाइल में बढ़ते वजन और मोटापे के कारण शरीर में कई बीमारियां घर कर लेती हैं. इसकी वजह है अनियमित खान-पान और कम फिजिकल एक्टिविटी । जैसे-जैसे हमारी फिजिकल एक्टिविटी कम होती है, शरीर में असंतुलित ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियां लग जाती हैं. जिनके ज्यादा बढ़ने पर जान का खतरा भी रहता है और ये कई अन्य बड़ी बीमारियों के लिए शरीर में रास्ता बना देती हैं. क्योंकि शुगर-बीपी से शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और वायरस को शरीर पर हमला करने का मौका मिल जाता है। इसलिए स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है सही मात्रा में खाएं और नियमित व्यायाम करें।

रिपोर्ट में उन्होंने आगे बताया है कि बदले हुए लाइफस्टाइल और पैक्ड व जंक फूड की बढ़ी हुई मात्रा ने हमारे भोजन से न्यूट्रिशन की मात्रा को कम कर दिया है. इनमें चीनी, मैदा, नमक और अजीनोमोटो जैसे पदार्थ शामिल हैं. गौर करने वाली बात ये है कि प्रोसेस्ड फूड में इनकी मात्रा खतरनाक स्तर तक होती है।

एक्सपर्ट ने बताया कि हावर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार ये न केवल कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का कारण बन रहे हैं, बल्कि ये उम्र को भी कम से कम 10 साल तक कम कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने उन 4 खाद्य पदार्थों के बारे में बताया है जिनका ज्यादा इस्तेमाल शरीर के लिए खतरनाक है. आप भी जानिए खाने में इस्तेमाल की जाने वाली इन 4 चीजों बारे में।

अनुपा दास के अनुसार, शक्कर या चीनी को एम्प्टी कैलोरी भी कहते हैं. इसमें कोई पोषक तत्व नहीं होते हैं. जैसे ही ये हमारे डाइजेस्टिव ट्रैक में पहुंचती है, ग्लोकोज और फ्रैक्टोज में टूटती है. कम फिजिकल एक्टिविटी करने वाले लोगों के लिवर में ये फैट के रूप में जमा हो जाती है. इसका इंसुलीन पर भी बुरा असर पड़ता है, जिससे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. उनका कहना है कि केवल 5 चम्मच चीनी ही दिन में काफी है, लेकिन 40 की उम्र के बाद इसे और कम करें।

चाऊमीन में डलने वाला अजीनोमोटो दिल के बेहद नुकसानदायक है. अजीनोमोटो मोनोसोडियम ग्लूटामेट है. इसे चाइनीज फूड बनाने के लिए ज्यादा यूज किया जाता है. इसका नेचुरल सोर्स टमाटर और अंगूर है. अनुपा दास ने बताया कि आर्टिफिशियली इसे लेने की कोई जरूरत नहीं है.

हाई बीपी के सबसे ज्यादा जिम्मेदार सफेद नमक ही होता है. नमक शरीर में पानी की मात्रा पर असर डालता है. यदि हम ज्यादा नमक खाते हैं तो शरीर में जमा अतिरिक्त पानी ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है. जब नमक को रिफाइन किया जाता है, तो इसमें से आयोडीन हट जाता है. वहीं रिफाइन किए जाने पर इसमें फ्लोराइड मिलाए जाते हैं जो नमक ज्यादा खाने पर नुकसान पहुंचाते हैं. रोज के खाने में 1 चम्मच नमक ही लेना चाहिए. यदि बीपी है तो डायटिशियन से सलाह जरूर लें.

मैदा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे हम रोजाना किसी न किसी रूप में अपने डाइट में शामिल कर ही लेते हैं, फिर चाहे वो ब्रेड-बन हो या फिर कुलचे-भटूरे या बर्गर. ये मोटापा, कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का कारण बनता है. मैदा बनाने के लिए गेहूं को प्रोसेस करने के दौरान इसमें पाए जाने वाले टिशू जिन्हें इंडोस्पर्म कहते हैं वो खत्म हो जाते हैं. ऐसे में पाचन के लिए जरूरी इसका चोकर भी हट जाता है. इसके लगभग पूरे पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. इससे पाचन संबंधी समस्या पैदा हो सकती है. मैदा से बने पदार्थ सप्ताह में केवल एक बार खा सकते हैं वो भी केवल टेस्ट बदलने के लिए।

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