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कभी माओवादियों का गढ़ था यह इलाका, अब यहां होगी अल्लू अर्जुन की ‘पुष्पा-2’ की शूटिंग

भुवनेश्वर : ओडिशा के मल्कानगिरी जिले का स्वाभिमान अंचल 372 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यह इलाका 2008 और 2021 के बीच माओवादी हिंसा का गवाह रहा है। इस दौरान यहां अलग-अलग हिंसक घटनाओं में 101 नागरिकों और 77 सुरक्षाकर्मियों की हत्या हुई है। इस साल मई से अब यहां एक अलग तरह की ही शूटिंग होने वाली है। हैदराबाद स्थित फिल्म निर्माता कंपनी मिथ्री मूवी मेकर्स ने 2021 में ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘पुष्पा’ प्रोड्यूस की थी। इस प्रोड्यूसिंग कंपनी के लोगों ने स्वाभिमान अंचल के इलाकों की रेकी की है। यहां तेलुगू सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा का सीक्वल मई से फिल्माया जाएगा।

मिथ्री मूवी मेकर्स के प्रोडक्शन मैनेजर पी वेंकटेश्वर राव ने पुष्पा-2 की शूटिंग से जुड़े अपडेट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘हमारी सीनियर प्रोडक्शन टीम स्वाभिमान अंचल के इलाकों को देखकर संतुष्ट है। इस टीम में फाइट मास्टर, एसोसिएट डायरेक्टर और आर्ट डायरेक्टर शामिल हैं। हंटलगुडा, सप्तधारा और झूलापोला ऐसे जगहें हैं जिन्हें पुष्पा-2 की शूटिंग के लिए अस्थायी रूप से अंतिम रूप दिया गया है। हमने ड्रोन कैमरों से शूटिंग के लिए मलकानगिरी जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से इजाजत ली है। हमने इस बारे में सीमा सुरक्षा बल के साथ बातचीत की। वे शूटिंग में सहयोग के लिए तैयार हैं। सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो शूटिंग मई के महीने में शुरू हो सकती है।’

आर्ट डायरेक्टर, फाइट मास्टर, एसोसिएट डायरेक्टर के साथ ही कुछ क्रू मेंबर्स पहले से ही मल्कानगिरी में हैं। ग्राउंड वर्क के लिए टीम को मौके पर भेजा जा चुका है। पुष्पा-2 के मेकर्स ऐसी जगह की तलाश कर रहे हैं, जहां लॉरी को जीप का पीछा करते हुए देखा जा सकता हो। उन्हें यह लोकेशन हंतलगुडा में मिली है। यहां जनवरी 2020 में माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासी पीछे हट गए थे। राव ने बताया कि शूटिंग के लिए करीब 150 से 200 लोग स्वाभिमान अंचल में मौजूद रहेंगे। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चला कि अल्लू अर्जुन इन जगहों पर शूटिंग के लिए खुद आएंगे या फिर नहीं।

फिल्म निर्माताओं ने शूटिंग के लिए जिलाधिकारी और एसपी से अनुमति मांगी है। इन लोगों ने अधिकारियों को शूटिंग के दौरान नियमों का पालन करने का आश्वासन दिया है। मालूम हो कि स्वाभिमान अंचल को 60 के दशक में बने बालिमेला जलाशय द्वारा मेनलैंड ओडिशा से अलग कर दिया गया। यह इलाका चार दशकों तक विकास के नक्शे से बाहर ही रहा। स्वाभिमान अंचल भौगोलिक रूप से आंध्र प्रदेश के निकट था। माओवादियों ने इस क्षेत्र को सरकारी अधिकारियों से अभेद्य बनाते हुए अपना बेस बना लिया था। मल्कानगिरी में 2008 के बाद ही कई हिंसक घटनाएं हुईं, जब ओडिशा और आंध्र प्रदेश की पुलिस ने उनके खिलाफ अभियान चलाया।

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