अन्तर्राष्ट्रीय

रामायण से प्रभावित है यह देश, इसलिए मुख्य शहर का नाम रखा- ‘अयुथ्या’

देहरादून (गौरव ममगाईं)। भगवान राम का जीवन सिर्फ भारतीयों के लिए ही प्रेरणास्रोत नहीं है, बल्कि कई ऐसे देश भी हैं जहां रामायण का भारत के समान ही महत्त्व है। ऐसा ही एक देश है थाईलैंड। वैसे तो यहां बौध्द धर्म प्रचलित है, लेकिन यहां के लोग सदियों से रामायण का अनुसरण करते आ रहे हैं। थाई साम्राज्य में शासकों ने रामायण को इतना महत्त्व दिया कि सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र का नाम ही अयोध्या के नाम पर अय़ुथ्या रख दिया। आज ‘अयुथ्या’ को यूनेस्को ने ‘वर्ल्ड हैरिटेज’ घोषित किया है।

दरअसल, वर्तमान अयुथ्या शहर की स्थापना सन् 1350 में हुई थी, इसका पुराना नाम स्याम था। थाई लोग भगवान राम की जन्मभूमि अय़ोध्या को समृध्दि के प्रतीक  के रूप में देखते हैं, इसलिए थाई शासक ने इस व्यापारिक शहर का नाम अयुथ्या रखा। 1767 में बर्मा ने इस शहर पर बड़ा हमला किया, जिसने इस शहर के समृध्द अस्तित्व को तहस-नहस कर दिया। इसके बाद इस शहर के ऐतिहासिक खंडहरों को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संजोकर रखा गया है।

   वैसे भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक संबंध बहुत पुराने रहे हैं। दक्षिण-पूर्वी एशिया में होने के कारण थाईलैंड व भारत के बीच समुद्री मार्ग से संपर्क होता रहा था। इसी दौरान थाईलैंड में रामायण पहुंची। रामायण का प्रभाव इस कदर हुआ कि वहां के शासक के नाम भी राम-1, राम-2, राम-3 के रूप में रखे जाने लगे थे। रामायण के संस्कृत शब्दों को भी थाई भाषा में रूपान्तरित किया गया। रामायण को थाई भाषा में रामकिएन व अयोध्या को अयुथ्या कहा गया। बौध्द धर्म का पालन करने वाला थाईलैंड भगवान राम को हमेशा से आदर्श मानता है।

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