नई दिल्ली : नाचते-गाते, जिम में व्यायाम करते हुए अचानक आ रहे दिल के दौरे के लिए मधुमेह भी जिम्मेदार हो सकता है। मधुमेह को लेकर किए गए शोध बताते हैं कि आहार परिवर्तन और अपर्याप्त या शारीरिक गतिविधि की कमी से युवा वयस्कों में मधुमेह के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, इनमें ज्यादातर को पता ही नहीं है कि उन्हें मधुमेह की शिकायत हो चुकी है।
मधुमेह वाले वयस्कों में दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा दो से तीन गुना तक बढ़ जाता है। इसके अलावा कम रक्त प्रवाह से पैरों में न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति), पैर में अल्सर और संक्रमण की आशंका भी बढ़ जाती है। मधुमेह रेटिनोपैथी अंधेपन का एक महत्वपूर्ण कारण है, इससे गुर्दे तक फेल हो जाते हैं। इन्हीं सब समस्याओं को लेकर दिल्ली में अगले माह लोटस डायबिटीज फाउंडेशन का वार्षिक सम्मेलन होगा। इसमें अनुसंधान व शोध के माध्यम से मधुमेह को लेकर उपचार की नई विधि, इलाज का तरीका, मधुमेह को पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश पर चर्चा की जाएगी।
इस बारे में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक व सम्मेलन के वैज्ञानिक सदस्य डॉ. रजत झाम्ब ने बताया कि ऐसे मामले देखे गए है कि अचानक आए दिल के दौरे में जब युवाओं की जांच की गई तो उन्हें मधुमेह पाया गया। मधुमेह के कारण ही दिल की समस्या बढ़ी। उन्होंने कहा कि मधुमेह देश के लिए बड़ी चुनौती है।
एक अनुमान है कि 2025 तक देश में मधुमेह के मामले सात करोड़ को पार कर जाएंगे। इस समस्या से निपटने के लिए दुनियाभर से डॉक्टर दिल्ली में जुटेंगे। इस दौरान मधुमेह को लेकर शोध प्रस्तुत किए जाएंगे। साथ ही शोध व अध्ययन के माध्यम से इसकी रोकथाम, उपचार की नई विधि, मधुमेह को ठीक करने सहित अन्य पर चर्चा होगी।
मधुमेह को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है। देश में आधे मरीज ऐसे हैं जिन्हें पता ही नहीं है कि उन्हें मधुमेह की शिकायत है। कभी जांच करवाने पर उन्हें इसका पता चलता है। डॉ. झाम्ब के अनुसार मधुमेह की स्थिति में अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करती। या फिर शरीर अपने द्वारा उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाती। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। ऐसे में हमें नियमित मधुमेह की जांच करवानी चाहिए जिससे मधुमेह के कारण होने वाली समस्याओं की रोकथाम पहले ही की जा सकें।
मधुमेह मुख्य रूप से टाइप 1, टाइप 2 और गर्भावधि होता है। टाइप 1- यह मधुमेह किसी भी उम्र हो सकता है। यह अक्सर बच्चों और किशोरों में होता है। इसमें शरीर में बहुत कम या इंसुलिन नहीं बनाता है। इसमें रोजाना इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती है।
टाइप 2- यह मधुमेह वयस्कों में आम है। कुल मामलों में करीब 90 इसी टाइप का है। इसमें शरीर उत्पादित इंसुलिन का अच्छा उपयोग नहीं कर पाता। स्वस्थ जीवन शैली से इससे होने वाली समस्या को रोका जा सकता है।
गर्भकालीन मधुमेह (जीडीएम) की स्थिति में गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा होता है और यह मां और बच्चे दोनों के लिए समस्या बना सकता है। जीडीएम आमतौर पर गर्भावस्था के बाद खत्म हो जाता है। लेकिन प्रभावित महिलाओं और उनके बच्चों में टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है।