हरियाणा निजी क्षेत्र आरक्षण मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का यह अहम फैसला
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (supreme court) ने हरियाणा (Haryana) में निजी क्षेत्र की नौकरियों (Private Sector Jobs) में 75 प्रतिशत आरक्षण संबंधी राज्य सरकार (State Government) की अधिसूचना पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab-Haryana High Court) के रोक संबंधी फैसला रद्द कर दिया है । शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की अधिसूचना (State Government Notification) पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने के साथ ही इस मामले में उससे चार सप्ताह के भीतर फिर सुनवाई करने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि उच्च न्यायालय ने रोक लगाने के अपने फैसले के पक्ष में पर्याप्त कारण नहीं बताया है। शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने के लिए पारित आदेश में पर्याप्त कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति राव ने कहा कि हम मामले के गुण-दोष में नहीं पडऩा चाहते हैं।
हम उच्च न्यायालय से चार सप्ताह के भीतर मामले को तय करने का अनुरोध करते हैं। न्यायमूर्ति राव ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सुनवाई के दौरान पक्षकार न्यायालय के समक्ष स्थगन संबंधी किसी प्रकार की मांग नहीं करेंगे। शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि वह अदालत में मामला लंबित रहने के दौरान नियोक्ताओं के विपरीत कोई कदम नहीं उठाए। हरियाणा सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अन्य उच्च न्यायालयों में चल रहे मामलों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरण होने तक हरियाणा एवं पंजाब उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण संबंधी कानून पर रोक हटाने की भी मांग की थी। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को इस दलील के साथ उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी कि मामले पर बिना गौर किए हुए खारिज कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति राव ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि समाचार पत्रों के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है कि झारखंड और आंध्र प्रदेश में हरियाणा की तरह ही निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण संबंधित प्रस्ताव पास किए गए थे, जहां उन्हें संबंधित उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है। इन मामलों के बारे में जानकारी शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाए। हरियाणा का पक्ष रख रहे श्री मेहता ने कहा था कि वह झारखंड और आंध्र प्रदेश में लंबित मामलों के बारे में जानकारी जुटाकर अदालत में प्रस्तुत करेंगे।