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लखनऊ में ऐसे शुरू हुआ था सुहास का पैरा बैडमिंटन में सफर, आज रचा इतिहास

लखनऊ। टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय शटलरों ने इतिहास रचा लेकिन इसमें सुहास एलवाई ने रजत पदक जीतकर एक नयी कहानी लिख दी। दरअसल सुहास पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले पहले आईएएस अधिकारी बन गए है। पुरूष सिंगल्स एसएल फोर श्रेणी में वर्ल्ड नंबर थ्री सुहास को फाइनल में उनके चिर प्रतिद्वंद्वी फ्रांस के लुकास मजूर ने 21-15, 17-21, 15-21 से मात दी थी। यह इन खेलों में भारत का 18वां पदक भी है।

आजमगढ़ में कोच गौरव खन्ना से मुलाकात ने दी थी जिदंगी को एक नई दिशा

फोटो सोशल मीडिया

वैसे देखा जाय तो आज सुहास ने टोक्यो में जो देश का परचम लहराया है, उनकी इस सफलता की नींव लखनऊ में पड़ी थी। वैसे तो सुहास का बैडमिंटन से जुड़ाव पुराना है लेकिन आजमगढ़ में कोच गौरव खन्ना से उनकी मुलाकात ने उनको एक नई दिशा दे दी। यानि 2015-16 से एक नई शुरूआत हो गई।

फिर उन्होंनें कोच गौरव खन्ना की निगरानी में अपने खेल को निखारा और आज वो इस मुकाम तक पहुचे है। दूसरी ओर सुहास की इस सफलता पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी सहित सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उन्हें बधाई दी।

सुहास को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मोदी सहित सीएम योगी ने भी दी बधाई

इस बारे में लखनऊ के इंटरनेशनल पैरा शटलर अबु हुबैदा ने जानकारी दी कि आजमगढ़ में गौरव खन्ना सर ने सुहास सर से मुलाकता के बाद उन्हें पैरा बैडमिंटन में उतरने की सलाह दी। इसके बाद सुहास ने लखनऊ आकर ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।

यहीं नही नोएडा में अपनी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने अपना अभ्यास जारी रखा। वैसे सुहास एलवाई ने कुछ साल पहले एक मुलाकात में कहा था कि मेरा सपना टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतना है और आज उन्होंने इसको पूरा कर दिखाया।

नोएडा में अपनी पोस्टिंग के दौरान भी जारी रखा अभ्यास

फोटो सोशल मीडिया

सुहास ने ने शनिवार को सेमीफाइनल में जीत से से पहले ग्रुप चरण में तीन में से दो मैच में अपना दबदबा दिखाया था। सुहास ने इससे पहले सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 31 मिनट चले मैच में 21-9, 21-15 से मात दी थी। कनार्टक के रहने वाले 38 साल के सुहास सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर व 2007 बैच के आईएएस हैं।

उनके टखनों में विकार है और वो एसएल फोर में खेलते है। इस श्रेणी में वो बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जिनके पैर में विकार हो और वे खड़े होकर खेलते हैं। सुहास कोरोना महामारी पर लगाम के लिए 2020 से नोएडा में तैनात हैं और उन्होंन अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया हैं।

सुहास ने एनआईटी कर्नाटक से कंप्यूटर इंजीनियर की ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी। वो प्रयागराज, आगरा, आजमगढ़, जौनपुर, सोनभद्र में भी जिलाधिकारी रह चुके हैं। सुहास इसी साल बीजिंग में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले गैर रैंकिंग खिलाड़ी है। वो 2017 और 2019 बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में पुरूष सिंगल्स और डबल्स के विजेता होने के साथ ब्राजील में 2020 में स्वर्ण पदक विजेता थे।

पीएम मोदी ने दी फोन पर बधाई

जानकारी के अनुसार सुहास को इस उपलब्धि के बाद पीएम मोदी ने भी फोन के माध्यम से बधाई दी। एक न्यूज वेबसाइट के अनुसार सुहास ने पीएम मोदी की सीख को इसका श्रेय दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री से बोला कि आपने टोक्यो रवाना होने से पहले सामने कौन है यह मत देखना, बस बेस्ट करने की सीख दी जो पैरालंपिक में जीत का मंत्र बना गया। सुहास ने रजत पदक जीतने पर खुशी भी जताई।

इससे पहले पीएम मोदी ने ट्विट भी किया था कि सेवा और खेल का अद्भुत संगम। सुहास ने अपने असाधारण खेल प्रदर्शन की बदौलत हमारे पूरे देश की कल्पना को साकार किया। बैडमिंटन में रजत पदक जीतने पर उन्हें बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नेएक सिविल सेवक के तौर पर कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए खेलों के प्रति सुहास के समर्पण को असाधारण कहा। कोविंद ने ट्वीट किया-सुहास यथिराज को बधाई जिन्होंने पैरालंपिक की बैडमिंटन स्पर्धा में विश्व के पहले नंबर के खिलाड़ी को कड़ी टक्कर दी और रजत पदक जीता।

सुहास की उपलब्धि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया कि आज टोक्यो पैरालंपिक में गौतमबुद्ध नगर सुहास एलवाई ने बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीत कर भारतवर्ष की खेल प्रतिभा को वैश्विक पटल पर प्रतिष्ठित किया है, समूचे देश को हर्षाने वाली यह अविस्मरणीय उपलब्धि अनेकानेक खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी। आपको अनन्त शुभकामनाएं। जय हिंद!

सीएम ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में इस बात पर भी खुशी जताई कि अपनी प्रशासनिक दायित्व के बखूबी क निवर्हन के साथ उन्होंने पैरालंपिक मेें ये सफलता हासिल की।

पत्नी ने बोला कि आज के इस पदक के लिए दिए जिदंगी के कीमती छह साल

दूसरी ओर उनके परिवार ने भी इस पर खुशी जताई। उनकी पत्नी ऋतु सुहास के अनुसार अपने पैरालंपिक में पदक जीतने के सपने को साकार करने के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी के कीमती 6 साल दिए है। रितु के अनुसार सरकारी नौकरी के बाद भी वो अपने गेम के लिए समय निकालते थे। उन्होंने खेलों को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्राथमिकता दी। रितु सुहास भी प्रशासनिक अधिकारी हैं और इन दिनों गाजियाबाद में एडीएम एडमिनिस्ट्रेशन हैं।

वहीं सुहास की माता जयाश्री ने भी अपने बेटे की सफलता पर खुशी जताई। दूसरी ओर सुहास ने अपना पदक जीतने के बाद कहा कि मुझें अपने प्रदर्शन से बहुत खुशी है। लेकिन मैं यह मैच दूसरे गेम में ही खत्म कर सकता था। मै दूसरे गेम में अच्छी बढ़त पाने के बावजूद फाइनल नहीं जीत पाने से थोड़ा निराश हूं। उन्होंने आगे कहा कि लुकास को बेहतर व अच्छे खेल के लिए बधाई।

सुहास की उपलब्धियां

अपना अंतिम टूर्नामेंट ब्राजील ओपन (जनवरी 2020 ) और पेरू ओपन (फरवरी 2020 ) में दो स्वर्ण जीते थे। 2020 में लीमा (पेरू) में हुए बीडब्लूएफ पेरू ओपन पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट और उससे पहले साओ पाउलो (ब्राजील) में हुए बीडब्लूएफ ब्राजील पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में पुरुष सिंगल्स एसएल फोर में स्वर्ण पदक जीते थे। हांगझोऊ (चीन) में में 2019 में आयोजित चाइना पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में पुरुष डबल्स एस-एल थ्री-एसएल फोर में रजत पदक व पुरुष सिंगल्स एस-एल फोर में कांस्य पदक जीता था।

वो उससे पहले पहले थाईलैंड पैरा बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में पुरुष सिंगल्स व डबल्स में कांस्य पदक, तुर्की इंटरनेशनल में पुरुष सिंगल्स में स्वर्ण, युगांडा इंटरनेशनल में कांस्य और आयरिश पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में पुरूष सिंगल्स में रजत पदक जीत चुके थे।

सुहास जकार्ता पैरा एशियन गेम्स-2018 में कांस्य पदक विजेता पुरुष टीम में शामिल थे। उन्होंने 2017 में टोक्यो में हुए जापान ओपन पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में रजत और युगल एसएल-4 वर्ग में कांस्य पदक, इसी साल तुर्की में हुई पैरा इंटरनेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंगल्स व डबल्स में स्वर्ण पदक और 2016 में नवंबर में बीजिंग में हुई एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिंगल्स स्वर्ण पदक जीता था।

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