उत्तराखंड

आंदोलन नहीं, ये जेहाद ही है

दस्तक ब्यूरो-विश्लेषण: जब पेपर लीक मामले को धामी सरकार ने ‘नकल जेहाद’ पुकारना शुरू किया तो तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक वर्ग ने ये हल्ला शुरू कर दिया कि अब नकल में भी ये लोग सांप्रदायिकता ले आए। खुद को उत्तराखंडी राजनीति का पितामह कहने वाले हरीश रावत, जो कई जगह से मुंह की खाने के बाद अब खुद को हताश और अकेला पा रहे हैं, उन्होने तो कुरान से लेकर जेहाद की व्याख्या ही कर डाली कि ये तो एक पवित्र कार्य है!

वास्तव में ये तथाकथित आंदोलन नहीं, यह भी एक घृणित जेहाद ही है, (महान हरीश रावत वाला नहीं) क्योंकि इसके पीछे भी वैसी ही शक्तियाँ काम कर रही हैं, जैसी लव जेहाद, जमीन जेहाद जैसे नापाक इरादों के पीछे। अब बताइए, पूरे प्रदेश में कड़े पहरे में परीक्षा चल रही है, एक लड़के को चार जगह से फॉर्म भरवाया जाता है, ताकि एक न एक जगह से वो नकल करने में कामयाब हो ही जाये। वह लड़का भी मामूली नक़्क़ाल नहीं है। अनेक बार परीक्षा में बैठ चुका है। एक तरह से प्रतियोगी परीक्षा देने और उनमें फेल होने का एक्सपर्ट हो चुका है। वह नक़्क़ाल अपने चुने हुए एक परीक्षा हाल में मोबाइल ले जाने मे सफल हो जाता है।

मोबाइल से पेपर के तीन पेज बाहर बैठी एक महिला हैंडलर के पास भेजने में कामयाब हो जाता है। लेकिन उसे इतनी फुर्सत नहीं है कि बाहर से हल किए हुए सवालों के उत्तर कॉपी में भर ले। यानी उसका काम हो गया था। उसका मकसद बाहर भेजना तक ही था. पेपर हाल में बंटने के एक घंटे के भीतर बाहर बैठा हैंडलर नंबर वन उसे सोशल मीडिया में वायरल कर देता है। इतनी फुलप्रूफ योजना तो वही बना सकता है, जो खुद इस कला में माहिर हो। हमने मुंबई आतंकी हमले के दौरान इस तरह की फुलप्रूफ योजना देखी है, जिसे जेहादियों ने ही अंजाम दिया था। पाकिस्तान में बैठे हैंडलर कैसे कसाब जैसे आतंकियों को कदम-कदम पर गाइड कर रहे थे।

अब दूसरे दृश्य पर आइए। पूरे प्रदेश में हंगामे की तैयारी हो गई। धरने-प्रदर्शन शुरू हो गए। लोगों को पता चलने से पहले ही मुख्यमंत्री से इस्तीफा भी मांगने लग गए। देखते ही देखते जेएनयू की रिजेकटेड डफली टीम भी आ गयी। ऐसी-ऐसी लड़कियां भाषण देने लगी, जिनके मुंह से जहर बुझे शब्द निकलने लगे। कन्हैया छाप आजादी के नारे लगने लगे। देखते ही देखते परेड ग्राउंड पर कॉंग्रेस, यूकेडी, तथाकथित स्वाभिमान मोर्चा, बेरोजगार मोर्चा और देश भर से नक्सली और वामपंथी जुटने लगे।

वहीं पर देश को श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल बना देने के सपने देखे जाने लगे। एक लड़की बोल रही थी, यहाँ के नेताओं को आसमान में ही जला देंगे। एक लड़की भगवे के विरोध में, सनातन के विरोध में जहरीला भाषण रट के लायी थी। यानी अब मामला परीक्षा या पेपर लीक का न होकर संघ और सनातन के विरोध पर जाकर अटक गया था. सच यह है कि ये जेहाद से भी बड़ा कुछ करने वाले थे।

और विडम्बना इस बात की कि उन छात्रों की कोई सुध नहीं ले रहा था, जिनके नाम पर हर कोई अपनी अपनी रोटी सेक रहा है। परीक्षा में छले गए युवाओं को सचमुच अब लगने लगा है कि उन्होने अपना आंदोलन किन हाथों में दे दिया है?

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