इस बार चैत्र नवरात्रि होगी बेहद खास, शुभ संयोग में आ रही मां दुर्गा, जानिए कलश स्थापना का सही समय
नई दिल्ली : वर्षभर में चार नवरात्रि आती हैं। शारदीय नवरात्रि के बाद चैत्र नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण है। इस बार चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रही है। 22 से 30 दिसंबर तक पूरे नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाएगी। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा जिनती महत्ता रखती है। मां का आगमन और गमन की सवारी का भी उतना ही महत्व है। इस वर्ष मां का आगमन और गमन दोनों ही शुभ संकेत दे रहे हैं। इस बार देवी का आगमन 22 मार्च को हो रहा है। देवी पुराण के अनुसार मां दुर्गे का आगमन अगर बुधवार को हो, तो वह नौका पर सवार होकर आती हैं। नौका पर सवारी का तात्पर्य है सर्व कार्य की सिद्धि। अर्थात मां की आराधना करने वालों के सभी कार्य सिद्ध होंगे।
वहीं इस वर्ष देवी दुर्गा का गमन गुरुवार को हो रहा है। गुरुवार को मां भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं। जो सुख व सौभाग्य की वृद्धि करती हैं। इसका असर राष्ट्र पर भी होता है। राष्ट्र में सुख समृद्धि और मान-प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी। इस चैत्र नवरात्र किसी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। सभी नौ दिन मां देवी को समर्पित है। नवरात्रि के पहले दिन 22 मार्च को घट स्थापना की जाएगी।
कलश को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर देवी पूजन के समय उन्हें प्रत्यक्ष रूप से स्थापित की जाती है। कलश स्थापना का मुहूर्त भी अतिमहत्वपूर्ण है। सही काल, योग और मुहूर्त में ही कलश की स्थापना करनी चाहिए। चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च की रात 10.53 बजे ही हो रही है, जबकि प्रतिपदा तिथि का समापन 22 मार्च की रात्रि 8.21 बजे होगा। उदया तिथि में 22 को कलश की स्थापना जाएगी।
पहला स्वरूप मां शैलपुत्री
पहला दिन मां शैलपुत्री का माना जाता है। आरोग्य और धन लाभ के लिए मां को गाय के घी का भोग लगाना शुभ होगा।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग लगाना चाहिए। इससे अच्छी सेहत के साथ दीर्घायु का वरदान मिलता है।
तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। इस दिन मां को भोग लगाने के साथ जरूरतमंद को दान देना शुभ माना जाता है। इसलिए तीसरे दिन मां को दूध या इससे संबंधी बनी हुई चीजों का भोग लगा सकते हैं। इससे धन लाभ होगा।
नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां को मालपुआ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। इससे जातक के ऊपर मां का आशीर्वाद बना रहता है।
नवरात्रि के पांचवे दिन माता स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए। इससे व्यक्ति के बिजनेस, करियर में उन्नति होती है और हर काम बनने लगते है।
नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठवें अवतार मां कात्यायनी की पूजा की जाती हैं। इस दिन मां को शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे जातक को धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है। रोग मुक्त होने के लिए मां कालरात्रि को गुड़ से बनाई हुई चीज का भोग लगाएं।
नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा का आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करने का विधान है। मां का आशीर्वाद पाने और हर इच्छा पूर्ण करने के लिए मां को नारियल का भोग लगाएं।
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री को हलवा, पूड़ी और खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इस दिन ये भोग लगाने से मां की कृपा हमेशा जातक के ऊपर बनी रहती है।