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इस बार पंचपर्व चार दिन का, धनतेरस से लेकर भाईदूज तक खुशियां लेंगीं हिलोरें

इस बार पंचपर्व चार दिन का, धनतेरस से लेकर भाईदूज तक खुशियां लेंगीं हिलोरें
इस बार पंचपर्व चार दिन का, धनतेरस से लेकर भाईदूज तक खुशियां लेंगीं हिलोरें

भगवान श्रीराम के लंका फतह कर अयोध्यापुरी लौटने और भगवान श्रीराम के राजतिलक के अवसर पर हर साल मनाया जाने वाला दीपावली का त्योहार इस साल 14 नवम्बर को मनेगा। कोरोना महामारी के संक्रमणकाल में इस साल हालांकि, दीपमालिका के त्योहार को लेकर हर साल जैसी रौनक तो नहीं है, लेकिन त्योहार को लेकर प्रदेशवासियों की खुशियां हिलोरे मार रही है। हर साल दिवाली के समय मनाए जाने वाले पांच दिवसीय दीपोत्सव का त्योहार इस बार पांच नहीं, बल्कि चार दिनों का होगा। त्रयोदशी और चतुर्दशी एक ही दिन पडऩे के कारण धनतेरस और छोटी दीपावली का त्योहार जहां 13 नवंबर को मनाया जाएगा, वहीं दीपावली का पूजन 14 नवंबर को होगा। 15 को गोवर्धन पूजा और 16 को भैयादूज का पर्व मनाया जाएगा।

इस साल कोरोना महामारी के कारण प्रदेश के शहरों, कस्बों व गांवों में सजावट से भरपूर बाजार, रंग-बिरंगी चमकीली लडिय़ों से सजी दुकानें, मिट्टी के दीयों के साथ रखीं रंगीन मोमबत्तियां, पीले लड्डुओं और पारम्परिक मिठाईयों के बीच अपनी जगह पर फैले सुन्दर चॉकलेट के डिब्बे तो हैं, लेकिन महामारी के खौफ ने आमजन को बुरी तरह झकझोर रखा है। राज्य सरकार की ओर से पटाखों और आतिशबाजी पर रोक लगाने के कारण बाजार में पटाखों की दुकानें नहीं सज पाई हैं। बच्चों में दिवाली को लेकर उल्लास हैं, लेकिन मन में पटाखे नहीं फोड़ पाने का दुख भी हैं। इस बार चार दिवसीय दीपोत्सव की शुरूआत शुक्रवार यानी धनतेरस के साथ होगी। दीपोत्सव के स्वागत के लिए राजधानी जयपुर के साथ पूरे प्रदेश के बाजार पूरी तरह से सज-धजकर तैयार है। बाजार के लिए खास माने जाने वाले इस दिन के लिए कारोबारियों और ग्राहकों में एक सा उत्साह है।

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन आयुष्मान योग और चित्रा नक्षत्र में शुरू होने वाली धनतेरस से दीपपर्व 43 साल बाद पांच दिन के बजाय इस बार चार दिवसीय होगा। प्रदेशभर में शुक्रवार को धनतेरस का पर्व धन्वंतरी जयंती के रूप में मनाया जाएगा। हनुमान जयंती, यम चतुर्दशी और छोटी दिवाली को लेकर आमजन में उत्साह है। दिवाली पर्व की रौनक बाजार में दिखने लगी है। कई शहरों के बाजार विशेष थीम पर रोशनी से सराबोर नजर आ रहे हैं। कोरोना काल के मद्देनजर इस बार व्यापारी भी ग्राहकों को दो गज की दूरी के नियम का पालन और मास्क लगाने की अपील कर रहे हैं। धनतेरस का अबूझ मुहूर्त होने से आमजन वाहन, बर्तन, चांदी के आभूषण सहित अन्य खरीदी करना शुभ मान रहे हैं। कई शहरों में विशेष छूट के साथ ग्राहकों को ईएमआई की सुविधा भी मुहैया करवाई जा रही है।

शास्त्रानुसार धनतेरस प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी में मनाई जाती है। इस बार त्रयोदशी शुक्रवार को शाम छह बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी शुरू हो जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शुक्रवार को प्रदोष यानी शाम के समय त्रयोदशी और चतुर्दशी दोनों व्याप्त रहेगी। अत: धनतेरस का पर्व और रूप चतुर्दशी का दीपदान इसी दिन होगा। रूप चतुर्दशी के निमित्त होने वाला प्रभात स्नान और दीपदान दिवाली के दिन शनिवार सूर्योदय से पूर्व प्रात: 5.28 बजे होने वाले चंद्रोदय के साथ संपन्न होगा। इससे पहले 1977 में पांच दिवसीय पर्व चार दिन का रहा था। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी की पूजा अर्चना की जाएगी, वहीं आयुर्वेद औषधालयों में शिविर लगाए जाएंगे। धन त्रयोदशी के दिन सुबह धन्वंतरी का पूजन कर प्रदेशवासी आरोग्य की कामना करेंगे।

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