रायपुर : हिंदू धर्म में भद्रा काल का विशेष महत्व रहता है क्योंकि यदि भद्रा हो तो शुभ कार्य नहीं करना चाहिए और न होलिका दहन करना चाहिए और न ही बहनों को भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। इस साल रक्षा बंधन पर भद्रा काल है, लेकिन मकर राशि की भद्रा का वास पाताल लोक में है इसलिए इसका असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही इस बार दो दिन पूर्णिमा तिथि है, पहले दिन यदि राखी न बांधी जा सके तो दूसरे दिन सुबह पूर्णिमा तिथि समाप्त होने से पहले राखी बांधी जा सकती है।
ज्योतिषाचार्य डा. दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया कि 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया है। इस बार मकर राशि की भद्रा पाताल लोक में है, यदि किसी कारणवश इस दिन राखी न बांधी जा सके तो अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 7.05 बजे तक पूर्णिमा तिथि पर रक्षा बंधन मनाया जा सकता है। पूर्णिमा तिथि पर चार योगों का संयोग बन रहा है। आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, रवि योग, शोभन योग होने से शुभदायी है। प्रदोष काल रात्रि में 8.51 से 9.13 बजे तक है, इस काल में पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है।
आयुष्मान योग – 10 अगस्त को शाम 7.35 से 11 अगस्त दोपहर 3.31 बजे तक
रवि योग – 11 अगस्त सुबह 5.30 से 6.53 बजे तक
सौभाग्य योग – 11 अगस्त दोपहर 3.32 से 12 अगस्त सुबह 11.33 बजे तक
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 11 अगस्त को सुबह 10.38 से
समापन – 12 अगस्त को सुबह 7.05 बजे तक
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
सुबह – 6.08 से 8.18 बजे
सुबह 9.28 से 10.14 बजे
अभिजीत मुहूर्त – 11.37 से 12.29 बजे
सुबह 12.40 से 2.55 बजे
शाम – 6.59 से 8.24 बजे
ऐसी मान्यता है कि शनिदेव की बहन का नाम भद्रा है और भद्रा को श्राप मिला हुआ है कि जो भी उस काल में शुभ संस्कार करेगा उसका उसे फल नहीं मिलेगा और अमंगल होगा। यही कारण है कि किसी भी शुभ संस्कार में भद्रा काल का त्याज्य किया जाता है। जब भद्रा का वास पाताल लोक में हो तो उसका अशुभ असर नहीं होता।