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1983 वर्ल्ड कप की जीत में विकेटकीपर किरमानी का ये था खास योगदान

स्पोर्ट्स डेस्क : 1983 विश्व विजेता भारतीय टीम के विकेटकीपर रहे दिग्गज क्रिकेटर सैयद किरमानी घरेलू क्रिकेट में कर्नाटक के लिये खेले और यहाँ से खेलते हुए वो टीम इंडिया में पहुंचे. किरमानी की कीपिंग काफी अच्छी है. बोला जाता हैं कि जिन कैच को पकड़ने के लिये लपकने के लिये बाकी कीपरों को मेहनत करनी पड़ती है या डाइव मारनी पड़ती है.

वो कैच किरमानी आसानी से पकड़ते थे. किरमानी ने भारत के लिये 88 टेस्ट खेले और 160 कैच के साथ 38 स्टंप भी किया है. 49 वनडे में 27 कैच और नौ स्टंप किये. 1983 वर्ल्ड कप की जीत में किरमानी का बड़ा योगदान है. एक मैच में उन्होंने पांच कैच पकडे थे. ये उस टाइम का एक मैच में सबसे अधिक कैच का वर्ल्ड रिकॉर्ड था.

वो इस लीग के लिये बेस्ट विकेटकीपर चुने गये और साथ में उन्हें चांदी की बॉल लगी चांदी का ग्लव अवार्ड के रूप में मिला था. आज अपना 71वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे सैयद किरमानी का जन्म 29 दिसंबर 1949 को मद्रास (आज के चेन्नई) में हुआ था.

किरमानी के अनुसार जब वो 10-11 वर्ष के थे तब उनके पापा जयमहल एक्सटेंशन में रहते थे क्योंकि उन्हें वहीं पर सरकारी क्वार्टर मिला था. वही पर उदय शेट्टी नाम से एक शख्स थे जिन्हें क्रिकेट काफी पसंद था. उन्होंने एक टीम बनाई तब किरमानी छोटे थे तो उन्हें कीपर बनाया गया. अब उनके पास कोई ग्लव्स नहीं थे ऐसे में उन्होंने वहाँ पर पड़ी दो ईंटों को हाथ में उठाया. किरमानी ने ऐसे गेंदों का रोका. किरमानी के अनुसार, वो ईंटें उनके पहले कीपिंग ग्लव्स थे.

1986 के दशक की बात है जब किरमानी टीम इंडिया में कदम रखने वाले थे. किरमानी से पहले फारुख इंजीनियर भारतीय टीम के विकेटकीपर थे. उस टाइम विदेशी दौरा लम्बा होता था. यानी दो-दो तीन-तीन महीने.

बीसीसीआई अधिकारियों ने विचार किया कि टीम में एक अतिरिक्त कीपर हो. एक मुख्य कीपर को सभी मैच नहीं खेलेगा और उसे आराम मिलेगा. दूसरा अतिरिक्त कीपर होने से उसे ऊपर खेलने का अनुभव होगा. 1971 और 1974 में इंग्लैंड दौरे के लिये किरमानी को इंजीनियर के साथ टीम इंडिया में शामिल किया गया था.

किरमानी ने वर्ष 1976 में पहला टेस्ट खेला. किरमानी का टेस्ट डेब्यू न्यूजीलैंड के खिलाफ हुआ था. किरमानी का क्रिकेट करियर 10 वर्ष का था. 1986 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया. ऑस्ट्रेलिया से बड़े कारोबारी कैरी पैकर ने 1977 में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आगाज किया. इसका नाम वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज था.

किरमानी और गावस्कर को कैरी पैकर ने खेलने का ऑफर दिया था. ये बात बीसीसीआई को मालूम पड़ी तो चेतावनी दी गयी अगर उस सीरीज में खेले तो प्रतिबंधित हो जाएगा. चयनकर्ताओं ने 1979 में इंग्लैंड दौरे और वर्ल्ड कप के लिये उन्हें नहीं शामिल किया.

किरमानी को इस फैसले से दुख हुआ. उनका बोलना था कि, उन्होंने कोई गलती नहीं की तभी उनके साथ अन्याय हुआ. टीम में नही होने की खबर उन्हें गुंडप्पा विश्वनाथ ने दी थी इसके बाद किरमानी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाइटवॉचमैन के रूप में शतक जड़ा था

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