तोप-गोला नहीं ड्रैगन को मसलेगा यह ‘हथियार’, जयशंकर ने बताया सरकार का एक्शन प्लान
नई दिल्ली: भारत सरकार ने अपने बजट में पड़ोसी देशों के साथ बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है. अगर हम चीन बॉर्डर की बात करें तो मोदी सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में बॉर्डर पर हुए कामों में अंतर से समझा जा सकता है कि बॉर्डर पर विकास का दर डबल कैसे हुआ है. सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से सेंसिटिव भारत के उतरी हिस्सों में चीन से सटे बॉर्डर पर मोदी सरकार ने जबरदस्त इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़े किए हैं.
सबसे पहले चीन बॉर्डर पर रोड नेटवर्क की बात करते हैं. मोदी सरकार ने 2014 से लेकर 2022 के बीच 8 सालों में चीन बॉर्डर पर 6806 किलोमीटर लंबा नेटवर्क खड़ा किया है जबकि उससे पहले की सरकारों ने 2008 से 2014 के बीच 6 सालों में 3610 किलोमीटर का रोड नेटवर्क खड़ा किया था यानी तुलनात्मक दृष्टि से लगभग दो गुना सड़क निर्माण किया गया है.
पिछले दो वर्षों में, बीआरओ के बजट में बढ़ाकर 2500 से 5000 करोड़ यानी दोगुनी वृद्धि की गई है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि 2014 से पहले चीन सीमा बिल्कुल से सटे इलाकों में 7.3 किमी पुल का निर्माण किया गया था, जबकि मोदी सरकार के दौरान हमने 23.5 किमी पुल का निर्माण चीन से सटे इलाकों में किया है.
इन 8 पॉइंट्स में समझिए सरकार का एक्शन प्लान-
इस क्रम में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर विश्व का सबसे बड़ा सड़क टनल यानि अटल टनल का निर्माण अहम है. 9.02 किलोमीटर लंबे इस टनल के निर्माण से लाहौल स्पीति घाटी इलाके में सालभर आवाजाही के साथ साथ मनाली और कीलोंग की दूरी भी 45 किलोमीटर घट गई, जिससे चीन बॉर्डर पर पहुंचना सुगम हुआ है.
इसके साथ ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज दक्षिणी लद्दाख के उमलिंगा पास में 19 हजार 24 फीट की ऊंचाई पर चिसूमले और डेमचोक के बीच बने सड़क का निर्माण कर मोदी सरकार ने भारत-चीन बॉर्डर पर बड़ी कामयाबी हासिल की है.
इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की वजह से ही केंद्र सरकार के विशेष एफर्ट से चीन सीमा पर जोजिला दर्रे को मार्च 2022 में महज 73 दिन के बंदी के बाद खोलना संभव हो सका जो पहले सामान्य तौर पर करीब 4/5 महीने बर्फ से ढका रहता था.
यही नहीं पिछले साल भारत चीन बॉर्डर पर स्थित 16 दर्राओ को रिकॉर्ड समय में खोलना भी इस पूरे रणनीतिक क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है जो आमतौर पर लंबे समय के लिए पूरे इलाके को देश के दूसरे हिस्सों से कटकर रहता था.
चीन सीमा से बिलकुल सटे अरुणाचल के लाइ ब्रिज को महज 240 दिन में एलांग यिकिंग रोड पर बनाया गया है. दूसरा मिंजिंग टूटिंग रोड पर एक पुल रिकॉर्ड 180 दिनों में तैयार किया गया है.
चीन सीमा पर सबसे महत्वपूर्ण निर्माण में से एक सेला टनल जो 13700 फीट ऊंचाई पर बनाया जा रहा है जिससे इंडियन आर्मी साल भर सीधे एलएसी पर तवांग के करीब पहुंच पाएगी. निर्माण के बाद यह टनल विश्व का सबसे बड़ा बायलेन टनल होगा.
रणनीतिक रूप से अति महत्वपूर्ण चुशूल डूंगती डेमचौक सड़क का निर्माण पिछले महीने शुरू किया गया है. 135 किलोमीटर लंबे इस सड़क के निर्माण के बाद भारत इस इलाके में काफी मजबूत स्थिति में होगा.
केंद्र सरकार भारत चीन सीमा से सटे इन इलाकों में निर्माण कार्य न्यू टेक्नोलॉजी के उपयोग के जरिए कर रहा है जो high-altitude पर अधिक समय तक टिकाऊ रहे और 12 महीने सैनिकों के आवाजाही के लिए उपलब्ध रहे.