गोतबाया का इस्तीफा मांगने वालों को पीएम विक्रमसिंघे का समर्थन, लिट्टे के हमला करने की आशंका
कोलम्बो। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे का समर्थन मिला है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि खराब आर्थिक हालात के लिए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की खराब नीतियां और भ्रष्टाचार जिम्मेदार हैं।
पीएम विक्रमसिंघे ने शनिवार को कहा कि गाले फेस ग्रीन समुद्र तट पर नौ अप्रैल से राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के हितों को ध्यान में रखकर एक समिति बनाई गई है। विक्रमसिंघे ने कहा, प्रदर्शनकारयों की सुरक्षा का बंदोबस्त किया गया है। देश को दिशा देने में उनकी राय को खास जगह दी जाएगी। राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर जारी ‘गोता गो होम’ प्रदर्शन का समर्थन करते हुए पीएम ने कहा कि देश के राजनीतिक तंत्र में जरूरी बदलाव के लिए इस तरह के प्रदर्शनों का अंजाम तक पहुंचना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही यह प्रदर्शन देश के लिए युवा नेतृत्व के उभरने का संकेत भी हैं।
विक्रमसिंघे को बीते सप्ताह महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति गोतबाया ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। वह अपनी यूनाइटेड नेशनल पार्टी के अकेले सांसद हैं। महिंदा राजपक्षे ने प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थकों के बीच हिंसक झड़प के बाद इस्तीफा दिया। इस झड़प में सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद सहित नौ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के घर में आग लगा दी थी। इसके बाद महिंदा राजपक्षे नौसेना के एक बेस पर चले गए। रानिल विक्रमसिंघे को राजपक्षे भाइयों की श्रीलंका पोदुजना पेरामुना पार्टी (एसएलपीपी) के साथ ही कई विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि वे विक्रमसिंघे की सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन इस मुश्किल से देश को निकालने के प्रयासों में उनकी मदद करेंगे।
प्रदर्शनकारियों के गुस्से से डरे सांसद छिपे
विक्रमसिंघे मंत्रिमंडल बना रहे हैं। रविवार को उन्होंने चार कैबिनेट मंत्री चुने। एक सांसद की मौत और 78 सांसदों के घरों पर हमले के बाद से ज्यादातर सांसद डरे हुए हैं और सुरक्षित ठिकानों पर छिपे हैं। ये संसद सरकार की ओर से बुलाई गई बैठकों में शामिल होने से भी कतरा रहे हैं। इसी वजह से विक्रमसिंघे को मंत्रिमंडल बनाने में मुश्किल हो रही है।
राष्ट्रपति की अपील, साथ काम करें सांसद
बुद्ध पूर्णिमा से ठीक पहले वेसाक पोया दिवस पर राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने सभी सांसदों से मौजूदा हालात के बारे में गंभीरता से विचार कर साथ में काम करने की अपील करते हुए कहा कि मुश्किल हालात का सामना करने के लिए लचीलापन जरूरी है। देश को मुश्किल हालात से निकालने के लिए जनप्रतिनिधियों को लचीला रुख अपनाकर सरकार की मदद करनी चाहिए। श्रीलंका में भारत के उच्चायोग ने भी वेसाक पोया दिवस की शुभकामनाएं दीं और भगवान बुद्ध से श्रीलंका में हालात बेहतर होने की प्रार्थाना की।
लिट्टे के हमला करने की आशंका
भारत की खुफिया एजेंसियों ने 18 मई को श्रीलंका में लिट्टे के हमले की आशंका जताई है। इसे लेकर श्रीलंका की सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हैं। श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हमले की आशंका को लेकर जांच की जा रही है। इसके संबंध में भारत की सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों से भी बात की गई है। असल में 18 मई को श्रीलंका के गृहयुद्ध में मारे गए लोगों की स्मृति में मुल्लिवैकल दिवस मनाया जाता है। कुछ लिट्टे समर्थक इसे तमिल नरसंहार दिवस के तौर पर भी मनाते हैं।