पहली बार कर ‘छठ व्रत’ करने वाले इन नियमों को अवश्य जान लें, कहीं अनर्थ न हो जाए
भगवान सूर्य को समर्पित ‘छठ’ (Chhath Puja 2022) का महापर्व इस वर्ष 28 अक्टूबर को शुरू हो रहा है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार खासतौर पर, यूपी, बिहार और झारखंड में बहुत ही धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दौरान महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। छठ में महिलाएं छठी मैया की पूजा करती है। यह व्रत अच्छी फसल, परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। छठ का व्रत बहुत कठिन व्रतों में से एक है। ऐसे में अगर आप पहली बार छठ की पूजा करने जा रहे हैं, तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। आइए जानें इस बारे में –
छठ पूजा के नियम
शास्त्रों के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो रही है। पहले दिन को नहाय खाय के तौर पर मनाया जाता है। छठ पूजा के पहले दिन पूरे घर की साफ सफाई की जाती है। फिर स्नान करके साफ भोजन बनाया जाता है। भोजन ग्रहण करने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है।
मान्यता के मुताबिक, छठ का उपवास करने वाले व्रती को भोजन में कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल का सेवन करना चाहिए। ध्यान रखें कि व्रत रखने वाले के भोजन ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य लोग भी भोजन करें।
कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि, यानी, दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले लोग पूरे दिन उपवास करते हैं और शाम में भोजन ग्रहण करते हैं। खरना के मौके पर प्रसाद के रूप में गन्ने के रस से बनी चावल की खीर, चावल का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसे प्रसाद स्वरूप सभी में वितरित किया जाता है। प्रसाद में नमक और चीनी दोनों का उपयोग वर्जित होता है।
छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा होती है। शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन प्रसाद में ठेकुआ बनाया जाता है। शाम को बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। वहीं सूर्यास्त के समय उपवास रखने वाले किसी नदी, तालाब या कुंड के किनारे एकत्र होकर समूह में सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूर्य देव को दूध और जल का अर्घ्य देने के साथ छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा होती है।
छठ पूजा का समापन इस वर्ष 31 अक्टूबर को हो रहा है। ये व्रत का अंतिम दिन होता है, जिसमें उषा अर्घ्य दिया जाता है। भोर में उगते सूरज को अर्घ्य देते हैं। इसकी पूरी प्रक्रिया संध्या अर्घ्य की तरह की दोहराई जाती है। यह अर्घ्य भी सामूहिक रूप से ही दिया जाता है। इसके बाद कच्चे दूध का बना शरबत पीकर उपवास खोला जाता है।
छठ की महिमा
छठ पूजा का व्रत सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित हैं। इस त्यौहार को मुख्यत: बिहार में मनाया जाता हैं। इस व्रत को करने से निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता हैं। कहा जाता है कि यह व्रत संतान की रक्षा और उनके जीवन की खुशहाली के लिए किया जाता हैं। इस व्रत का फल सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति से भी ज्यादा होता हैं। सिर्फ संतान ही नहीं, बल्कि परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।