‘मनरेगा का मजाक उड़ाने वाले भी कोविड के दौरान…’, राहुल गांधी ने PM मोदी पर कसा तंज
![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2023/03/RAHUL1_641a90c98db01.jpg)
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए मंगलवार को कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसे महत्वाकांक्षी समारोह जनता के बीच से निकले, जबकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की योजनाएं नौकरशाहों द्वारा तैयार की गईं हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाली सरकार के ‘‘केंद्रीकृत’’ शासन की आलोचना करते हुए इसकी तुलना पूर्ववर्ती संप्रग सरकारों के शासनकाल से की।
मनरेगा (MNREGA) योजना का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि संप्रग शासन के चलते जनता से प्राप्त हुई खबर के आधार पर योजनाओं को तैयार किया गया था। कलपेट्टा में स्थानीय निकायों के यूडीएफ प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करते हुए उन्होंने दावा किया कि वर्तमान सरकार का नोटबंदी का फैसला पीएम मोदी का था तथा इसे लोगों या बैंकिंग प्रणाली से परामर्श किए बिना लागू किया गया था।
वही एक सवाल का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं। बहुत सारी योजनाएं केंद्रीकृत तरीके से बनायी जाती हैं तथा वे वास्तव में प्रभावी नहीं होती हैं, क्योंकि योजना बनाने में पंचायत की हिस्सेदारी नहीं होती है।’’ वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप कांग्रेस पार्टी की मनरेगा जैसी योजनाओं को देखें तथा उनकी तुलना बीजेपी की योजनाओं से करें, तो आप पाएंगे कि कांग्रेस की योजनाएं लोगों व पंचायतों के बीच से निकली हैं, जबकि बीजेपी की योजनाएं नौकरशाहों द्वारा तैयार की गईं हैं।’’ तत्पश्चात, गांधी ने मनरेगा योजना की आरम्भ के बारे में विस्तार से बताया कि कैसे यह विचार महाराष्ट्र के एक जिले से उभरा और बाद में इसे एक राष्ट्रीय योजना के रूप में स्वीकार किया गया तथा देश के शेष हिस्सों में इसका विस्तार किया गया।
कांग्रेस नेता ने कहा, “मनरेगा भारत के लोगों के बीच से उभरा। लोगों ने काम की मांग की एवं सरकार ने उस विचार पर प्रतिक्रिया दी। कई अलग-अलग हितधारकों से बात करने के बाद इस योजना को विकसित होने में कई वर्ष लग गए।’’ पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए गांधी ने कहा, ‘‘जब कोविड काल आया, तो उन्हीं पीएम को मनरेगा का विस्तार करने पर मजबूर होना पड़ा, जो मनरेगा का मजाक उड़ा रहे थे।’’