दस्तक-विशेष

हजारों किमी की यात्रा और कहने को कुछ नया नहीं

संजय सक्सेना,लखनऊ
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान अभी तक करीब तीन हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुके हैं। यह यात्रा अभी भी जारी है,इस यात्रा में अहम पड़ाव तक आया जब उनकी भारत जोड़ो यात्रा ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया। अमूमन कोई भी नेता,पार्टी या संगठन अपनी यात्रा या आंदोलन को दिल्ली पहुंचने पर एक जनसभा करके उसे पूर्ण विराम दे देते हैं। दिल्ली की जनसभा में यात्रा या आंदोलन के मकसद और इससे हुए फायदे का पूरा ‘निचोड़’ सामने आ जाता है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब दिल्ली पहंुची तो उन्होंने भी यहां जनसभा करके अपनी बात रखी। यात्रा कैसी रही, इसके बारे में भी बताने की कोशिश की,परंतु सोच की कमी के कारण राहुल गांधी अपनी बात या कहें अनुभव को न जनता के सामने रख पाए ना ही उन विरोधियों को आईना दिखा पाए जो आरोप लगा रहे थे कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उनकी(राहुल गांधी) रीलांचिग के अलावा कुछ नहीं है। जबकि हजारों किलोमीटर के यात्रा में वह लाखों लोगों से मिले होंगे,उनसे बात की होगी,मगर राहुल जो अनुभव काफी मायने रखता होगा,मगर हमेशा की तरह वह इस मौके पर भी अंबानी-अडानी से बाहर ही नहीं निकल पाए,जिस कारण राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सार्थकता पर ही सवाल खड़ा हो रहा है।

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दिल्ली पहुंचने पर जिस तरह से दोहराया कि मोदी सरकार अंबानी-अदाणी की सरकार है, उससे एक बार फिर यह सिद्ध हो गया कि इतनी लम्बी यात्रा के बाद भी उनके पास कहने के लिए कुछ नया नहीं है तो यह राहुल की अदूरदर्शिता के अलावा और कुछ नहीं है। राहुल की बचकानी बातें खत्म नहीं हुई हैं,भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जो लोग यह कहते घूम रहे थे कि राहुल गांधी ने इस यात्रा से काफी कुछ सीखा है,वह परिपक्त नेता नजर आने लगे हैं,उनकी भी कलई तब खुल गई,जब राहुल गांधी ने काफी बचकाने तरीके से दिल्ली की जनसभा में अपनी यात्रा से जुड़ा वृतांत सुनाया। भारत जोड़ो यात्रा सौ दिन से अधिक का समय पूरा कर चुकी है। इस दौरान करीब तीन हजार किमी की यात्रा तय हो चुकी है।

राहुल गांधी की परिपक्तता पर तो सवाल उठ ही रहे हैं, कांग्रेस के अन्य नेता भी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कोई उच्च संदेश नहीं दे पा रहे हैं। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बयान लगातार विवाद का कारण बन हैं। यात्रा को लेकर सबसे विवादित बयान कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की तरफ से आया जो राहुल गांधी की तुलना श्रीराम से कर बैठे हैं। खुर्शीद ने गांधी परिवार के प्रति अपनी चाटुकारिता की सभी हदें पार करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल को श्रीराम बताया, जिनकी ‘खड़ाऊ‘ लेकर वे भरत की तरह उत्तर प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा का प्रचार कर रहे हैं.बहरहाल, एक तरफ खुर्शीद राहुल की तुलना श्री राम से कर रहे थे तो दूसरी और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के पोते एनवी सुभाष ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते और अपने दादा का जिक्र करते हुए राहुल से सवाल किया कि क्या वह गैर-गांधी पार्टी के नेताओं के लिए थोड़ा सम्मान रखते हैं? नाराज एनवी सुभाष ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारकों पर राहुल की यात्रा के बारे में बोलते हुए उनके दादा को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाया. कहा कि कांग्रेस सांसद ने हैदराबाद में इंदिरा गांधी की प्रतिमा के पास एक रैली को संबोधित किया, लेकिन वह जानबूझकर नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि दिए बिना चले गए.वैसे इस तरह का आरोप गांधी परिवार पर पहली बार नहीं लगा है। नरसिम्हा राव की अनदेखी गांधी परिवार हमेशा से करता रहा है।

खैर, बात राहुल गांधी की भारत यात्रा पर ही रखी जाए तो बिना लाग लपेट के यह कहा जा सकता है कि कांग्रेसजन चाहे जो दावा करें, इस यात्रा के जरिये राहुल गांधी कोई नया विमर्श खड़ा नहीं कर सके हैं। वह न तो कोई नया विचार देने में समर्थ हुए हैं और न ही कोई वैकल्पिक एजेंडा पेश करने में। बल्कि वह अपने विरोधियों से लेकर मीडिया तक को कोसते-काटते ही रहे। वह अपनी इस यात्रा के दौरान रह-रहकर वही पुराने जुमले दोहराते रहे, जो वह पहले भी अनेक बार कर दोहरा चुके हैं। वही चीन को लेकर पुराना प्रलाप और मोदी सरकार को अंबानी-अदाणी की सरकार की संज्ञा देने में राहुल ने पूरी एनर्जी खपा दी। इसी तरह से उनकी वीर सावरकार को भी देश विरोधी और अंग्रेजों का पिट्ठू बनाने की कोशिश यात्रा के दौरान भी जारी रही। इसी तरह वह नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के फैसलों पर भी सवाल उठाते रहे हैं,जबकि इसके बाद मोदी 2019 में जनता का विश्वास हासिल करके दोबारा सत्ता में आ चुके हैं। चीन के मसले पर भी वह मोदी सरकार पर निशाना साधने में लगे हुए हैं,वह यहां तक कहने से भी नहीं चूके कि चीन की सेना ने हमारे सैनिकों की पिटाई कर जी जबकि सोशल मीडिया पर जो वीडियों वायरल हो रहा है उसमें साफ दिखाई दे रहा है कि भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को बुरी तरह से मारपीट कर खदेड़ दिया था। क्या ये सब वही बातें नहीं, जो वह पहले भी कई बार कर चुके हैं? कहना कठिन है कि इससे राहुल गांधी अथवा कांग्रेस को क्या फायदा होगा।

समझ में नहीं आता है कि मोदी सरकार के खिलाफ अंबानी-अदाणी की सरकार बताना राहुल गांधी का प्रिय जुमला क्यों बना हुआ है,जबकि उसकी ही राजस्थान की सरकार अडानी को अपने यहां आमंत्रित कर रही है। भले ही अन्य कांग्रेसी नेता भी इसी जुमले को दोहराते रहते हों, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कुछ माह पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने किस तरह अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी को जयपुर आमंत्रित किया था और उनकी ओर से राज्य में निवेश करने के फैसले की सराहना की थी। समझना कठिन है कि यदि अदाणी समूह के मुखिया अंबानी के साथ मिलकर मोदी सरकार को कथित तौर पर नियंत्रित कर रहे हैं तो फिर राजस्थान सरकार की ओर से उन्हें महत्व क्यों दिया गया। राहुल गांधी को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से पूछना चाहिए उन्होंने अदानी को कैसे अपने यहां आमंत्रित किया। राहुल नहीं पूछ सकते हैं तो कांग्रेस के नये अध्यक्ष को सीएम अशोक गहलोत से सवाल जबाव करना चाहिए था,लेकिन ऐसा नहीं होता है तो यह माना जाएगा कि कांग्रेस और राहुल गांधी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। उनकी कथनी और करनी में काफी अंतर है। स्पष्ट है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से कांग्रेस आलाकमान पूंछताछ नहीं करता है तो इसके बाद राहुल गांधी के यह कहने का कोई मतलब नहीं रह जाता कि मोदी सरकार अंबानी-अदाणी की सरकार है।

फिर भी यह यह जरू कहा जा सकता है कि राहुल गांाी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने एक हलचल जरूर पैदा कर दी है,लेकिन इसका कांग्रेस को सियासी फायदा कितना होगा, यह 2023 में नौ राज्यों में होने वाले विधान सभा और 2024 के आम चुनाव मंे मिली सफलता-असफलता से तय हो जाएगा। फिर भी इसमें कोई दो राय नहीं हैं इस बड़े राजनीतिक आयोजन के कारण राहुल गांधी लगातार चर्चा में बने हुए हैं, तो इसीलिए, क्योंकि राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इमेज खराब करने के एक सूत्रीय कार्यक्रम को नहीं छोड़ पा रहे हैं। अच्छा होगा कि कोई उन्हें यह बताए कि वह यह काम पिछले आठ वर्षों से करते चले आ रहे हैं,लेकिन इससे कांग्रेस को कोई सफलता हाथ नहीं लग पा रही है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को यह फायदा होता भी नहीं दिख रहा है कि विपक्ष ने उन्हें(राहुल गांधी को) 2024 के आम चुनाव के लिए मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा मान लिया हो।अभी भी एक दो पार्टियों को छोड़कर तमाम दल और नेता राहुल गांधी से दूरी ही बनाकर चल रहे हैं। इसी लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमों मायावती, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश से गुजरने के दौरान उनसे दूरी बनाए रखे रहे।

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