भारत में पेड़ों की 347 प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा, राज्य में औसतन 32 प्रजातियां संकटग्रस्त
नई दिल्ली: भारत में पेड़ों की 3,708 से ज्यादा प्रजातियां हैं, जिनमें से 347 यानी 9.4 फीसदी प्रजातियां खतरे में हैं। वहीं, 609 प्रजातियां ऐसी भी है जो केवल भारत में ही पाई जाती हैं। यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा पेड़ों की विविधता और स्थिति का सटीक आकलन करने के लिए तैयार डाटाबेस ‘ट्रीज ऑफ इंडिया’ (TOI) में सामने आई है।
इससे जुड़ा अध्ययन जर्नल बायोडायवर्सिटी एंड कंजर्वेशन में प्रकाशित हुआ है। भारत जैव-विविधता से समृद्ध देश है। यही वजह है कि दुनिया के 36 प्रमुख जैवविविधता हॉटस्पॉट्स में भारत के चार क्षेत्र भी शामिल है। हालांकि इसके बावजूद देश में पेड़ों की विविधता के बारे में आंकड़ों का अभाव है। शोधकर्ता अंजार अहमद खुरू के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने 1872 से 2022 के बीच प्रकाशित 313 अध्ययनों का विश्लेषण किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अध्ययन उन क्षेत्रों में संरक्षण सम्बन्धी योजनाओं और पारिस्थितिक की बहाली के लिए किए जा रहे प्रयासों में मददगार होगा। रिपोर्ट में पेड़ों पर मंडराते खतरे की सबसे बड़ी वजह जंगलों की बेतहाशा कटाई, शहरीकरण माना गया है।
अध्ययन में सामने आया कि भारत के हर राज्य में औसतन पेड़ों की 606 प्रजातियां है। हर प्रजाति कम से कम छह राज्यों में पाई जाती है। देश में पेड़ों की सबसे ज्यादा विविधता तमिलनाडु में है। इसके बाद असम और अरुणाचल प्रदेश का नंबर आता हैं। पेड़ों की सबसे कम संख्या लद्दाख में रिकॉर्ड की गई है।
शोध से यह भी पता चला है कि देश के हर राज्य में औसतन पेड़ों की करीब 32 संकटग्रस्त और 36 स्थानीय प्रजातियां हैं। वहीं, प्रत्येक स्थानीय प्रजाति करीब दो राज्यों में पाई जाती है। केरल में संकटग्रस्त और स्थानीय दोनों प्रकार की ही प्रजातियों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद तमिलनाडु और कर्नाटक की बारी आती है। दिल्ली, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में पेड़ों की दो-दो स्थानीय प्रजातियां हैं, जबकि लद्दाख, लक्षद्वीप और चंडीगढ़ में यह पूरी तरह नदारद हैं। बॉटनिक गार्डंंस कंजर्वेशन इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट स्टेट ऑफ द वर्ल्डस ट्रीज के अनुसार देश में पेड़ों की कुल 2,611 प्रजातियां हैं। इनमें 374 प्रजातियां खतरे में हैं।