नई दिल्ली: माओवादियों के अंतिम गढ़ में उनके खिलाफ सुरक्षा बलों का अभियान तेज होगा। इस रणनीति के तहत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 3 बटालियंस (करीब 3,000 जवान) को ओडिशा से छत्तीसगढ़ भेजा जाएगा। वहीं, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की भी इतनी ही इकाइयों को छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के गढ़ कहे जाने वाले अबूझमाड़ के भीतरी इलाकों में तैनात किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों कहा था कि सुरक्षा बल वामपंथी उग्रवादके खिलाफ आखिरी प्रहार कर रहे हैं।
अबूझमाड़: 237 गांवों में 35 हजार लोग, यहां अभी बेस नहीं
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, राजनांदगांव और कोंडागांव में अभी आईटीबीपी की 8 बटालियन हैं। आईटीबीपी को अबूझमाड़ के और भीतरी इलाके में एक इकाई भेजने के लिए कहा गया है। नारायणपुर नक्सल कैडर का गढ़ है। अबूझमाड़ के 237 गांवों में 35 हजार लोग रहते हैं। अभी यहां कोई स्थायी केंद्रीय या राज्य पुलिस बेस नहीं है।
बस्तरः सीओबी बनने से नक्सल कॉरिडोर बंद होगा
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीएसएफ-आईटीबीपी की दो-दो और बटालियन को दक्षिण बस्तर के पास छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर भेजा जाएगा। नक्सली ओडिशा के जिलों में आने-जाने के लिए बस्तर गलियारे का उपयोग करते हैं और इसलिए केंद्रीय बलों को राज्यों की सीमा पर अधिक सीओबी बनाने का काम सौंपा गया है।
नारायणपुरः 6 नए बीएसएफ कंपनी ऑपरेटिंग बेस बनाने के निर्देश
बीएसएफ को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में 6 नए कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) बनाने का निर्देश मिला है। शुरू में ओडिशा के मलकानगिरी में स्थित एक बटालियन को अंतर-राज्यीय सीमा के दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में ले जाया जाएगा।