भारत ने अमेरिका को दिया झटका, 50 साल के ‘डॉलर राज’ पर बड़ी चोट
देहरादून (गौरव ममगाईं)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूं ही ‘वैश्विक कूटनीति का गुरु’ नहीं कहा जाता है, एक बार फिर नरेंद्र मोदी ने ऐसा ऐतिहासिक काम किया है, जिससे पश्चिमी देशों की 50 साल से चली आ रही ‘वैश्विक डॉलर भुगतान’ परंपरा को बड़ी चुनौती दी गई है।
दरअसल, भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को कच्चे तेल की खरीद का भारतीय मुद्रा में भुगतान किया है। इसमें भारतीय तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने यूएई से 10 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की थी।
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की खऱीद पर अभी तक डॉलर में भुगतान किया जाता रहा है। भारत के इस फैसले से अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि भारत के इस कदम के बाद कई देशों को हिम्मत मिली है। अब वो भी अपनी मुद्रा में भुगतान करने को प्रेरित होंगे। इतना ही नहीं, भारत ने यूएई के अलावा कई अन्य देशों के साथ भी भारतीय मुद्रा में भुगतान करने का फैसला लिया है। आने वाले दिनों में भारत कई दूसरे देशों के साथ भी भारतीय मुद्रा में भुगतान कर सकता है।
भारत को क्या होंगे लाभः
डॉलर के कमजोर होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव नहीं पड़ेगा
डॉलर की कीमत के कारण भुगतान में आने वाले अंतर की राशि में बड़ी कटौती होगी।
भारतीय मुद्रा का अन्य देशों में चलन बढ़ेगा, इससे मुद्रा को मजबूत मिलेगी
डॉलर का वैश्विक प्रभाव कम होने से भारत जैसे कई देशों की मुद्रा को बढ़ावा मिलेगा
बता दें कि भारत अपनी आवश्यकता का करीब 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। भारत सबसे ज्यादा तेल सऊदी अरब से आयात करता है, यूएई तीसरे नंबर पर है। कच्चे तेल में ही भारत सबसे ज्यादा भुगतान करता है, ऐसे में यदि भारत इस खरीद का भुगतान भारतीय मुद्रा में करे तो भारतीय मुद्रा को काफी मजबूती मिलेगी।
जाहिर है कि भारत के इस निर्णय से अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों को 50 साल से चले आ रहे ‘डॉलर राज’ के खत्म होने की चिंता सताने लगी है। पीएम मोदी के इस निर्णय को भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में उठाये कदम के रूप में देखा जा रहा है।