मध्य प्रदेशराज्य

ग्वालियर में बाघिन मीरा ने तीन शावकों को दिया जन्म, चिड़ियाघर में 12 हुई संख्या

ग्वालियर : मध्य प्रदेश के ग्वालियर चिड़ियाघर में बाघिन मीरा ने रविवार रात तीन शावकों को जन्म दिया। इनमें दो शावकों का रंग सफेद और एक का रंग पीला है। चिड़ियाघर प्रबंधन का कहना है कि तीनों ही शावक और उसकी मां बाघिन मीरा स्वस्थ हैं। तीन शावकों के जन्म के साथ अब ग्वालियर चिड़ियाघर में टाइगर की संख्या कुल 12 हो गई है। यहां 5 सफेद, 7 रॉयल बंगाल टाइगर हैं। ऐसे में गांधी प्राणी उद्यान देश का पहला जू बन गया है जहां इतनी बड़ी संख्या में टाइगर मौजूद हैं।

दो महीने के भीतर ही चिड़ियाघर की दो बाघिनों ने शावकों को जन्म दिया है। इससे पहले 28 जून को चिड़ियाघर की ही एक और बाघिन दुर्गा ने तीन शावकों को जन्म दिया था। दुर्गा के शावकों को देखने के लिए सैलानी चिड़ियाघर में आने लगे थे। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के दिन बाघिन दुर्गा के तीन शावकों के लिंग की पहचान की गई थी। इनमें से दो मादा और एक नर शावक है। नर शावक का रंग सफेद तो वहीं मादा शावकों का रंग पीला है। बाघों के संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। रूस में एक टाइगर समिट में बाघ संरक्षण पर चर्चा हुई थी। उसी सम्मेलन में हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का फैसला किया गया था। बाघ न सिर्फ भारत का राष्ट्रीय पशु है, बल्कि दुनिया के करीब 70 प्रतिशत बाघ हमारे देश में हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का उद्देश्य लगातारी घट रही बाघों की संख्या को थामने के लिए आवश्यक कदम उठाना है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बाघों के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन बाघ संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देते हैं।

बाघों की घटती संख्या के कारणों की बात करें तो उनकी खाल, हड्डियों और अन्य अंगों की मांग की वजह से उनका अवैध शिकार किया जाता है। जंगल भी लगातार कम हो रहे हैं, यही वजह है कि बाघ पास की बस्तियों और इलाकों पर हमला करते हैं। अनुकूल वातावरण न होने के कारण इसका असर बाघों के जीवन पर पड़ रहा है। भारत सरकार ने 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की थी, इसका उद्देश्य देश में बाघों की संख्या को बढ़ावा देना और उनके आवासों की सुरक्षा करना है। इस परियोजना के तहत कई टाइगर रिजर्व भी स्थापित किए गए हैं। साथ ही बाघ संरक्षण के लिए विशेष नीतियां भी बनाई गई हैं। भारत में अभी 54 टाइगर रिजर्व हैं।

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