दस्तक-विशेषराष्ट्रीय

कब तक मोदी : 2025 या 2029!

संजय सक्सेना

आज की भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे चर्चित चेहरा हैं। जीवन के 74 साल पूरे कर चुके मोदी के बड़ी तादात में चाहने वाले हैं तो उनसे चिढ़ने वालों की संख्या भी कम नहीं है। मोदी का राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण दस वर्ष पूर्व 2014 के लोकसभा चुनाव से हुआ था। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के पूर्ण बहुमत वाली सरकार का प्रथम प्रधानमंत्री बनने का भी सौभाग्य हासिल है। पीएम बनने से पूर्व वह करीब ढाई दशक तक गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके थे। पिछले दस वर्षों से मोदी अपने हिसाब से भारतीय राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। दो बार पूर्ण बहुमत और इस बार गठबंधन की सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दस वर्षों में कई बड़े फैसले लिए, जो भारत के विकास में दूरगामी प्रभाव डाले रहे हैं। मोदी ने कश्मीर से धारा 370 और 35ए खत्म की। तीन तलाक को अवैध घोषित किया। पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की। मोदी सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 लाई, जिसका मुख्य उद्देश्य पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैरमुस्लिम धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता देना है। मोदीराज में ही 500 वर्षों से अयोध्या में रामलला के मंदिर को लेकर चल रहा विवाद खत्म करके वहां रामलला के मंदिर का निर्माण किया गया। इसी के साथ गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास, किसान सम्मान निधि, अटल पेंशन योजना, नोटबंदी, जीएसटी, उज्ज्वला योजना, जनधन खाते, डिजिटल इंडिया, मेड इन इंडिया जैसे दूरगामी जनहित के फैसले भी लिये गये। मोदी के तीसरे कार्यकाल की बात की जाये तो मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह तीन नए आपराधिक कानूनों का लागू किया जाना रहा। ब्रिटिश दौर के 1860 की भारतीय दंड संहिता सीआईपीसी और 1973 की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 की भारतीय साक्ष्य अधिनियम को खत्म करते हुए सरकार ने एक जुलाई 2024 को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू कर दिया। भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं शामिल की गई हैं। जबकि आईपीसी में 511 धाराएं थीं। नए कानून में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं जबकि 33 अपराधों के लिए जेल की सजा की अवधि बढ़ाई गई है। इसके अलावा मोदी सरकार एक देश, एक चुनाव के लिए भी कार्य कर रही है। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर भी सरकार काम कर रही है।

बहरहाल, भारतीय जनता पार्टी और उसके समर्थक मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए उत्साहित हैं, लेकिन उनके विरोधी अगले वर्ष सितंबर 2025 में उनके रिटायरमेंट का सपना पाले हुए हैं। प्रधानमंत्री हाल ही में 17 सितंबर 2024 को 74 साल के हो गए हैं और 75 वर्ष में प्रवेश कर गए। अगले साल वह अपना 75वां जन्मदिन मनाएंगे, इसलिए अब इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या पीएम मोदी भी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य तमाम नेताओं की तरह 75 साल की आयु के बाद सक्रिय राजनीति से पीछे हट जाएंगे। उक्त नेताओं को मोदी ने ही अपने नियम बनाकर मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था। मोदी को लेकर विपक्षी नेता तो यह भी सवाल उठाने लगे हैं कि भाजपा में पीएम मोदी का विकल्प कौन हो सकता है। वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो कहते हैं कि ऐसी कोई संभावना नहीं है कि अगले साल 75 वर्ष की उम्र के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद से पद छोड़ देंगे। पीएम मोदी सत्ता के जिस शिखर पर हैं, वहां बैठे व्यक्ति के लिए नियम-सिद्धांत बदलना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि आरएसएस और बीजेपी के पास अभी मोदी का कोई विकल्प मौजूद नहीं है। इसके अलावा अगले साल संघ भी अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाएगा, इतने वर्षों में संघ को प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता दिलाने वाले सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं। पीएम मोदी ने दो बार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता दिलाई है। ऐसे में संघ पीएम मोदी को क्यों हटाना चाहेगा, जबकि उसे पीएम मोदी के पद पर रहने से कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं दिख रहा हो।

वैसे इस हकीकत को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि अमित शाह को उनके विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश हो रही है ताकि किसी विपरीत स्थिति में वो चीजें संभाल सकें। राजनीति के जानकार कहते हैं कि मोदी का 75 साल का सिद्धांत सिर्फ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर रखने और हाशिए पर धकेलने के लिए था, जिनके साथ काम करने में मोदी अपने को सहज नहीं महसूस करते। वैसे भी सिद्धांत दूसरों के लिए बनाए जाते हैं। सत्ता पर अंकुश के लिए ऐसे सिद्धांत-नियम बनाए जाते हैं जिसके पीछे खास उद्देश्य होते हैं। सिर्फ भाजपा ही नहीं, सभी राजनीतिक दलों में सत्ता हथियाने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए जाते हैं। वैसे अगर मूल्यों और सिद्धांतों की बात की जाए तो 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर पीएम मोदी को भी सक्रिय राजनीति से खुद को अलग कर लेना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। हाल ही में जब विपक्ष ने पीएम मोदी की आयु का मुद्दा उठाया था तो अमित शाह ने सामने आकर कहा था कि भाजपा में ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान मई में तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आए आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहली बार पीएम मोदी के रिटायरमेंट का मुद्दा उठाया था। केजरीवाल ने इसी साल 11 मई को दावा किया था कि पीएम मोदी 17 सितंबर 2025 को 75 वर्ष के हो रहे हैं। 2014 में मोदी ने खुद नियम बनाया था कि भाजपा के अंदर जो भी 75 साल का होगा, उसको रिटायर कर दिया जाएगा। तब केजरीवाल ने यह भी दावा किया था कि पीएम मोदी अपने लिए नहीं, बल्कि अमित शाह के लिए वोट मांग रहे हैं। वहीं अब जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल मोदी से नहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से मोदी को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। हाल ही में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर जनता की अदालत को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और केन्द्र की एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। अरविंद केजरीवाल ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी पांच सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि जिस तरह मोदी जी ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर सरकारें गिरा रहे हैं, क्या संघ उससे सहमत है? दूसरे सवाल में केजरीवाल पूछते हैं कि मोदी जी ने सबसे भ्रष्ट नेताओं को बीजेपी में शामिल कराया। क्या आरएसएस मोदी जी से सहमत है? तीसरा सवाल था जेपी नड्डा के बयान से आरएसएस दुखी हुआ या नहीं? पांचवें सवाल में पूछा गया है कि 75 साल वाला रूल मोदी जी पर लागू होगा या नहीं? अंत में केजरीवाल कहते हैं बीजेपी आरएसए की कोख से पैदा हुई है।

कहा जाता है कि यह देखना संघ की जिम्मेदारी है कि बीजेपी पथभ्रष्ट न हो। क्या आप आज की बीजेपी के कदमों से सहमत हैं? क्या आपने कभी मोदी जी से यह सब न करने के लिए कहा? कुल मिलाकर केजरीवाल यही जानना चाहते थे कि मोदी को 75 साल का होने के बाद रिटायर कर दिया जायेगा। वैसे केजरीवाल अकेले नहीं हैं, कांग्रेस के तमाम नेताओं के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, जनता दल के तेजस्वी यादव, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी तमाम नेता मोदी के रिटायरमेंट की राह देख रहे हैं। हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती उम्र को लेकर उन पर निशाना साधा था। रेड्डी ने पूछा कि क्या बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तरह पीएम मोदी भी 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाएंगे। रेड्डी ने कहा कि पीएम मोदी ने आडवाणी और जोशी की रिटायरमेंट उम्र 75 साल तय की है और पूछा कि क्या यह उन पर (पीएम मोदी पर) भी लागू होगा। खैर, यह सब तब हो रहा है जबकि देश में 75 साल के ऊपर के कई नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो चुके हैं। इसमें मनमोहन सिंह का भी नाम शामिल है। उधर, बीजेपी के नेता लगातार इस बात का खंडन कर रहे हैं कि मोदी अगले वर्ष पीएम की कुर्सी छोड़ देंगे। बीजेपी नेता आरोप लगा रहे हैं कि गैर बीजेपी दलों के पास मोदी के कद का कोई नेता नहीं है। इसीलिए वह मोदी से मुकाबला करने के बजाये उनके रिटायर्डमेंट का सपना देख रहे हैं। राजनाथ सिंह ने तो यहां तक कहा, ‘जिस व्यक्ति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई हो, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे मजबूत बनाया हो, उस व्यक्ति के हटने का सवाल ही नहीं उठता। मैं बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता होने के नाते इस बारे में स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि वह 2029 में भी भारत के पीएम बनेंगे।’

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