बक्सर : भगवान श्री राम की कर्मभूमि बक्सर जिले में आयोजित सनातन संस्कृति समागम और अंतर्राष्ट्रीय संत सम्मेलन का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत के विद्वतापूर्ण उदघाटन भाषण से हुआ जिसमें संघ प्रमुख ने जीवन में कर्म और पुरुषार्थ के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में कोई भी इच्छा को पूर्ण करने के लिए पुरुषार्थ आवश्यक है।
यही संदेश देने के लिए इस पुण्य भूमि पर भगवान राम ने जन्म लिया । उनकी इच्छा मात्र से सब कुछ संभव हो सकता था परंतु उन्होंने हमें पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करने हेतु सारी लीलाएं कीं। हम यदि मन में राम को रखकर कार्य करते हैं तो हमारी इच्छा पूर्ण होने में संशय की गुंजाइश नहीं होती । भागवत ने कहा कि जब हम यह मानते हैं कि हुइहै वही जो राम रचित राखा तो हमें भगवान राम के आदर्शों को अपने व्यवहार में उतारना होगा। मन की अयोध्या बनाना पड़ती है। संघ प्रमुख ने कहा कि मन की अयोध्या संवारने से ही अयोध्या मे श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। गौरतलब है कि अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण हेतु आयोजित भूमि पूजन समारोह में भी संघ प्रमुख ने देश वासियों से मन की अयोध्या संवारने काम आह्वान किया था । भागवत का वह ऐतिहासिक भाषण आज भी लोगों के मानस पटल पर अंकित है।
संघ प्रमुख ने आगे कहा कि भगवान राम ने सबको गले लगाया, सबको जोड़ने का काम किया, उनके मन में समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए करुणा का भाव था । हमें उनसे प्रेरणा लेकर हमारे संपर्क में आने वाले हर वर्ग के लोगों के प्रति अपनत्व, आदर और प्रेम प्रदर्शित करना चाहिए। शरीर को स्वस्थ , मन को उदार और बुद्धि को निष्कपट रखकर निस्वार्थ कर्म करने से हमें अपने कार्यों में सफलता मिलेगी। भागवत के भाषण के दौरान जब उत्साहित भीड़ ने जब नारे लगाए तब उन्होंने सचेत किया कि कर्म का मतलब नारेबाजी करना नहीं है। हमें जोश में होश बनाए रखने की आवश्यकता है। जीवन में कर्म की प्रधानता पर और विस्तार से प्रकाश डालते हुए मोहन भागवत ने कहा कि यदि हमें संसार की असारता को भेद कर सत्य को पाना है तो कर्म करना होगा। इसी संदर्भ में संघ प्रमुख ने कहा कि धर्म वह है जो सबको सुख देता है, आनंद की अनुभूति कराता है और समाज को जागृत, उन्नत और पराक्रमी बनाता है । हमें उस धर्म के लिए ही कर्म करना है लेकिन कोई भी कर्म डर कर नहीं किया जाना चाहिए।
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत का उत्थान हो, यह ईश्वर की इच्छा है लेकिन उसके लिए हमको तैयार होना होगा । जब हम देश धर्म, समाज संस्कृति के लिए तन-मन-धन से काम करेंगे तो हमारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। आज विश्व में जो परिस्थितियां हैं उनमें भारत की ओर आशा भरी निगाह से देखा जा रहा है। आज वैभव संपन्न, सनातन संस्कृति को प्रत्यक्ष आचरण में लाने वाले समरस भारत की जो आवश्यकता महसूस की जा रही है उसकी पूर्ति के लिए हमें तैयार होना है। संघ प्रमुख ने जोर देकर कहा कि हमें याचना नहीं करनी है , स्वयं को योग्य बनाना है और मन में विजय का विश्वास रखना है।
बक्सर जिले के अहरौली गांव में 7 नवंबर को प्रारंभ हुआ यह अनूठा सनातन संस्कृति समागम 9 दिनों तक चलेगा । यह अंतर्राष्ट्रीय आयोजन पंच आयामी है और इसकी भव्यता देखते ही बनती है । इस आयोजन की विशालता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके लिए 30 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने के लिए समीपस्थ क्षेत्रों के किसानों से अनुरोध किया गया था जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। किसानों को आयोजन अवधि के दौरान उनकी जमीन के उपयोग के एवज में श्री राम कर्म भूमि न्यास के द्वारा भुगतान भी किया जाएगा। इस आयोजन में भाग लेने हेतु देश विदेश के साधु-संतों का हजारों लाखों की संख्या में अहरौली आगमन हो चुका है। देश की जो आध्यात्मिक विभूतियां इस महाकुंभ में भाग लेने हेतु अहरौली पधार चुकी हैं उनमें श्री श्री रविशंकर, मां अमृतानंदमई, स्वामी अवधेशानंद गिरि, मुरारी बापू, रमेश भाई ओझा और बाबा रामदेव प्रमुख हैं। इस सनातन संस्कृति समागम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए 7 राज्यों के राज्यपालों और 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इनके अलावा राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी सहित अनेक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के भी इस समागम में भाग लेने की संभावना है। समागम के समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे।
श्रीराम कर्मभूमि क्षेत्र महाकुंभ के नाम से आयोजित किए जा रहे इस भव्य आयोजन का उद्देश्य भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या के साथ ही उनकी कर्मभूमि बक्सर के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व से दुनिया को परिचित कराना है और रामराज्य की कल्पना को साकार करना है। 9 दिनों तक चलने वाले इस वृहद आयोजन का शुभारंभ शोभायात्रा से हुआ। देव दीपावली की पुनीत तिथि पर यहां 11 लाख दियों से तैयार की गई भगवान राम की अनुकृति ने जो अनुपम छटा बिखेरी उसने इस आयोजन की शोभा में चार चांद लगा दिए। प्रतिदिन श्रीराम कथा , श्रीमद् भागवत कथा, लक्ष्मीनारायण महायज्ञ सहित पांच यज्ञ आयोजित किए जाएंगे। यहां वाराणसी के पंडितों द्वारा प्रति दिन गंगा महाआरती की जाएगी और मुंगेर योग विश्वविद्यालय द्वारा विशाल योग शिविर लगाया जाएगा। प्रज्ञा प्रवाह राम प्रज्ञा ज्ञान यज्ञ और श्री राम लोकमंथन ज्ञान यज्ञ इस अनूठे आयोजन के विशिष्ठ आकर्षण होंगे। देश के सुप्रसिद्ध कलाकार यहां प्रतिदिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दे रहे हैं। सनातन संस्कृति समागम के आयोजन को सफल बनाने के लिए जो संस्थाएं योगदान दे रही हैं उनमें संघ के अनेक आनुषंगिक संगठन शामिल हैं।