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फेफड़ों को तंदुरुस्त रखने के लिए बहुत जरुरी ये योगासन, जानें इनके बारे में…

फेफड़ों को तंदरुस्त रखने के लिए योग करना बहुत जरुरी है। योगासन करने से छाती की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और फेफड़ों के काम करने की कार्यक्षमता बढ़ती है। जिससे आप बेहतर तरीके से ऑक्सीजन ले सकते हैं। चलिए आज हम आपको बतातें हैं कुछ आसनों के बारे में जिन्हें करके आप अपने फेफड़ों को स्वस्थ बनाकर रख सकते हैं। आसनों के बारे में जानकारी होने के साथ-साथ उन्हें करने का सही तरीका भी आना चाहिए।

गोमुख आसन
– इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चौकड़ी मारकर बैठ जाएं। अपने कंधो और पीठ को बिल्कुल सीधा रखें।
– अपने एक पैर को दूसरे पैर पर रखें और ध्यान रहे की ऐसा करने के दौरान आपकी एक जांघ दूसरी के ऊपर हो।
– इसके बाद बाएं हाथ को उठाएं और इसको कोहनी से मोड़ें और पीछे की ओर कंधों से नीचे ले जाएं।-उसके बाद दाहिनी बाजू को उठाएं, कोहनी से मोड़ें और ऊपर की ओर ले जाकर पीछे पीठ पर ले जाएं।
– दोनों हाथों की उंगुलियों को पीठ के पीछे इस तरह से रखें कि एक दूसरे को आपस में जकड़ लें।
– अब सिर को कोहनी पर टिकाकर पीछे की ओर धकेलने का प्रयास करें। जहां तक हो सके आगे देखने की कोशिश करें।
– पांवों और हाथों की स्थिति बदलते हुए इसे दोहराएं, इस तरह से एक चक्र पूरा हो चुका है।
– इस क्रिया को करते हुए सांस लें और छोडें और इस क्रिया को 4 से 5 बार दोहराएं।

त्रिकोणासन
-अपने पैरों को चौड़ा करके बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं।
-दोनों पैरों के बीच कम से कम दो या तीन फीट का अंतर रखें।
-अपनी रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखकर खड़े रहें। इसके बाद अपनी भुजाओं को फर्श के समान लाएं और अपनी हथेली को नीचे की ओर ले जाते हुए सांस लें।
-अब धीरे- धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को बाईं ओर मोड़ें।
-आपका दाहिना हाथ बिल्कुल सीधा होना चाहिए। अब अपने सिर को घुमाएं और दाहिने हाथ की उंगली की नोक को देखें।
-इस मुद्रा को पांच से सात बार दोहराएं और फिर गहरी सांस लेते हुए हाथों को बिल्कुल सीधे कर दें। -अब फिर से एकदम सीधे खड़े हो जाएं। अब कम से कम पांच से दस बार गहरी सांस लें।
-सांस छोड़ दें और अपने कूल्हे को दाहिनी ओर झुकाएं ।
-दस सेकंड के लिए इसी मुद्रा में रहें।
-उसके बाद हाथों को सीधा रख अपने स्थान पर खड़े हो जाएं और सांस को अंदर खींचे।
-अगर आप दोनों तरफ से यह आसन करते हैं तो इसे त्रिकोणासन का एक राउंड कहा जाता है।
-जब हम इस आसन को छह राउंड तक करते हैं तो इसे त्रिकोणासाना कहा जाता है।

नौकासन
-बसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए।
-आपके हाथ जांघ के बगल में होने चाहिए।
-अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें।
-धीरे धीरे सांस लें और छोड़े, इस अवस्था में खुद को टिका कर रखें।
-जब अपने शरीर को नीचें लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए लाना हैं।
-इसे विधि को 3 से 4 बार दोहराएं।

अनुलोम-विलोम
-जमीन पर पदमासन की मुद्रा में आंखे बंद करके बैठ जाएं।
-अब दाहिने पैर के पंजे को बाएं पैर की जांघ पर रखें।
-अब दाहिने नाक को दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद करें और बाएं नाक से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
-उसके बाद दाहिने नाक पर रखे दाएं अंगूठे को हटा लें और सांस छोड़ें।
-सांस छोड़ते समय आपकी मध्य उंगली बाएं नाक के पास हो।
-अब दाएं नाक से सांस लें और सांस छोड़ते समय दाएं अंगूठे को नाक के पास से हटा लें।
-इस क्रिया को 5 मिनट तक दोहराएं।
-इसे सुबह के समय ताजी हवा में बैठकर करें।

योग के साथ-साथ एक बात का जरुर ध्यान रखें कि फेफड़ों को नुकसान पहुचाने वाली किसी चीज का सेवन न करें। जैसे कि धूम्रपान…फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान धूम्रपान करने से होता है, इसलिए जितना हो सके इस बुरी लत से दूर रहना चाहिए।

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